गुरुवार को केंद्र सरकार देश के सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देगी, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इस कदम से पहले ही विपक्षी दलों ने एक सुर में सरकार के समर्थन का ऐलान कर दिया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर सभी दल एकजुट हैं।

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने भारतीय सेना की कार्रवाई की सराहना की

पुलवामा हमले के बाद जिस तरह से बालाकोट एयरस्ट्राइक पर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए थे, वैसी कोई प्रतिक्रिया इस बार सामने नहीं आई। बल्कि इस बार कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने भारतीय सेना की कार्रवाई की सराहना की और सरकार को पूरा समर्थन देने की घोषणा की।

कांग्रेस ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद ही बिना शर्त सरकार का समर्थन किया था, हालांकि बाद में उसने सुरक्षा और खुफिया तंत्र की विफलता को लेकर सवाल भी उठाए। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद कांग्रेस ने इस विषय पर कोई विवाद नहीं खड़ा किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी दोनों ने सेना को सलाम किया। कांग्रेस ने यहां तक ऐलान किया कि वह प्रियंका गांधी के सुझाव पर अपने राजनीतिक कार्यक्रमों को रोक रही है।

राहुल गांधी ने कहा कि हमारी सेना को हम सबका प्यार और समर्थन है

राहुल गांधी ने कहा कि हमारी सेना को हम सबका प्यार और समर्थन है। उन्होंने सेना और सरकार के बीच फर्क करते हुए कहा कि कांग्रेस सेना के साथ खड़ी है। यह रुख कांग्रेस के उस पुराने रवैये से अलग है जब उसने सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक के बाद सवाल उठाए थे। 2016 के उरी हमले और उसके बाद की सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस ने सबूत मांगे थे। उस समय सुषमा स्वराज ने खुद सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें जानकारी दी थी। कांग्रेस ने तब भी सरकार को समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन कुछ ही दिनों में सुर बदल गए थे।

इस बार ऐसा नहीं हुआ। बुधवार को जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी सामने आई, कांग्रेस ने तुरंत सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई और बिना किसी शर्त के समर्थन की घोषणा की। कर्नाटक कांग्रेस के सोशल मीडिया अकाउंट से गांधीजी का शांति संदेश हटाकर सेना की प्रशंसा वाला संदेश डाला गया। यह बदलाव कांग्रेस के रुख में गंभीर बदलाव को दर्शाता है।

Operation Sindoor signals: पाकिस्तान पर भारत के हमले से निकले तीन बड़े संकेत, जानिये क्या हैं इनके मायने

कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दलों ने भी भारतीय सेना की जमकर प्रशंसा की। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से बात कर समर्थन का आश्वासन दिया। डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ तमिलनाडु भारतीय सेना के साथ खड़ा है।

पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता ए.के. एंटनी ने ऑपरेशन सिंदूर को “बस शुरुआत” बताया और उम्मीद जताई कि सेना आगे भी निर्णायक कार्रवाई करेगी। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम सब एक हैं और सेना के साथ खड़े हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि भारतीय सेना हर बार माताओं की कोख, बहनों की कलाई और सिंदूर की रक्षा करती है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीय इस लड़ाई में सरकार और सेना के साथ हैं।

समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, सीपीआई नेता डी राजा और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने भी सेना के साहस की सराहना की और सरकार को समर्थन देने की बात कही। डी राजा ने यहां तक कहा कि इस बार की कार्रवाई बेहद संतुलित और रणनीतिक थी, जिसमें सैन्य ठिकानों को निशाना न बनाकर आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को ही टारगेट किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे हमलों के बाद कूटनीतिक रास्तों से शांति बहाल करने की कोशिश भी होनी चाहिए।

2019 के बालाकोट हमलों के बाद जब विपक्ष ने सरकार पर राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया था, तब भाजपा ने इसे राष्ट्रविरोधी करार दिया था। इस बार ऐसा कुछ भी सुनने को नहीं मिला। भाजपा ने भी विपक्ष के इस बार के रुख की सराहना की है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस तरह से विपक्षी दलों ने अपनी विचारधारा से ऊपर उठकर सरकार और सेना का समर्थन किया, वह भारतीय लोकतंत्र में दुर्लभ उदाहरण है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर खड़े हो सकते हैं।