संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी और उन्होंने इस ऑपरेशन को सफल बताया था। वहीं इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए।
जयशंकर ने खोल दी पाक के झूठ की पोल
जयशंकर ने पाकिस्तान के झूठ की पोल खोल दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सुरक्षा काउंसिल का सदस्य है और हम नहीं है, लेकिन हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के बारे में बताया। जयशंकर ने यह भी कहा कि हमने पूरी दुनिया को बताया कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है। जयशंकर ने कहा कि जब हमारी रेड लाइन क्रॉस कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े।
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क्या पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति से हुई थी बात?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर जयशंकर ने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई। जयशंकर के निशाने पर नेता विपक्ष राहुल गांधी भी रहे। जयशंकर ने बिना नाम लिए राहुल गांधी के चीन दौरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब चीन अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को स्टेपल वीजा जारी कर रहा था तब कुछ नेता चीन में बैठकर ओलंपिक देख रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं ना तो चीन ओलंपिक देखने गया और ना ही किसी सीक्रेट एग्रीमेंट के लिए गया।
जयशंकर ने कहा, “हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान के असली चेहरे को बेनकाब कर दिया। सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान समेत केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया। UN में 193 देश हैं, जिसमें से तीन सदस्यों ने ही इसका विरोध किया।”
पाकिस्तान की ओर से हुई सीजफायर की पहल
जयशंकर ने भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और पाकिस्तान को सबक सिखाया गया। उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और उसे कड़ा संदेश दिया । जयशंकर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर में कोई भी देश मध्यस्थ के रूप में शामिल नहीं था। जयशंकर ने एक बार फिर संसद में साफ बताया कि सीजफायर की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई और उसने ही गुहार लगाई थी। जयशंकर ने यह भी कहा कि क्वाड देशों ने पहलगाम घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यार्पण हुआ और यह हमारी डिप्लोमेसी है।