संसद का मानसून सत्र चल रहा है। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा चल रही है। ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा की शुरुआत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की। विपक्ष के कई सांसदों ने सरकार पर सवाल उठाएं जिसका बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने जवाब दिया। इसी क्रम बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने भी जवाब दिया। शांभवी चौधरी ने कहा कि हमको गर्व होता है कि आज ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने का मौका मुझे मिला क्योंकि इतिहास में ऑपरेशन सिंदूर को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

ऑपरेशन सिंदूर भारत के लिए न्यू नॉर्मल- शांभवी चौधरी

शांभवी चौधरी ने कहा, “विश्व में ऑपरेशन सिंदूर ने भारत के लिए न्यू नॉर्मल को स्थापित किया है। यह न्यू नॉर्मल सदियों पहले रामचरितमानस में लिख दी गई थी, जिसकी चौपाई है ‘विनय ना मानत जलध जड़ गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होय ना प्रीति’। इसका अर्थ है कि विनय और धैर्य महत्वपूर्ण गुण है लेकिन जब धैर्य का बांध टूट जाता है तब भय के अलावा उसका कोई उपचार नहीं बचता है। हमारी सरकार के दौरान सेना के शौर्य से आज नए भारत को स्थापित किया गया है।”

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शांभवी चौधरी ने कहा, “यह नया भारत क्या है? यह नया भारत शांति के लिए तो गौतम बुद्ध और महावीर जी के दिखाए हुए पथ पर तो चलता है लेकिन जब राष्ट्र की सुरक्षा की बात आती है तो प्रभु श्री राम के धनुष को और श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र को भी उठाना जानता है। आज इस चर्चा के दो भाग है। पहला भाग है पहलगाम पर हुआ अटैक और दूसरा है ऑपरेशन सिंदूर। पहलगाम में जिस तरह से अटैक आतंकवादियों ने किया, वह नागरिकों पर नहीं बल्कि मानवता पर अटैक था। आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर उनकी पत्नियों के सामने हमारे देश के नागरिकों को मारा। पूरा देश वह चित्र कैसे भूल सकता है, जब एक नव विवाहित महिला लाल चूड़ी पहन कर अपने पति के शव के पास बैठी थी। इस चित्र ने पूरे देश के झकझोर कर रख दिया था। लेकिन हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको पहलगाम से अधिक दुख फिलिस्तीन पर होता है, क्योंकि पहलगाम उनकी राजनीति को फायदा नहीं देता।”

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‘नया भारत मोमबत्तियां नहीं जलाता…’

शांभवी चौधरी ने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने राष्ट्र धर्म निभाया, उन्होंने केवल हमारे महिलाओं के आंसुओं को ही नहीं पोछा बल्कि हमारी महिलाओं के स्वाभिमान और सम्मान को पुनर्स्थापित किया। शांभवी चौधरी ने कहा कि हम बता देना चाहते हैं कि यह एक नया भारत है और आतंकवादी हमले के बाद यह भारत मामबत्तियां नहीं जलाता बल्कि दुश्मनों की चिताएं जलाता है। उन्होंने कहा कि नया भारत शांति चाहता है लेकिन शांति अपनी शर्त पर और अगर अपनी शर्त पर शांति नहीं मिलती तो भारत डिस्ट्रक्शन पर भी जाता है। शांभवी चौधरी ने एक शायरी के माध्यम से कहा… ‘खतों का दौर गया, अब फरमान भेजे जाते हैं! जो करते हैं भारत की आत्मा पर वार, वह कब्रिस्तान भेजे जाते हैं।”

शांभवी चौधरी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अभी मेरे कांग्रेस के साथी कह रहे थे कि इंदिरा गांधी ने 1971 में यह किया, वह किया लेकिन वही कांग्रेस के लोग कभी भी 1971 का क्रेडिट बिहार के बेटे जगजीवन राम जी को नहीं देते हैं, जो तब के रक्षा मंत्री थे। शांभवी चौधरी ने कहा, “बांग्लादेश ने उन्हें 1971 का वार हीरो डिक्लेयर किया था। युद्ध के बाद भी उन्होंने सैनिकों के रिहैबिलिटेशन के लिए काम किया था। कांग्रेस पार्टी इसे कभी भी रिकॉग्नाइज नहीं करेगी क्योंकि उनको दलित नेतृत्व से समस्या है। कांग्रेस के लोग सिर्फ उनके साथ रहना चाहते हैं जो बाबा साहब के चित्र को अपने पैर पैर रखते हैं।”

शांभवी चौधरी ने कहा कि अगर हम ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करें तो सिर्फ आतंकियों के ठिकाने को ही ध्वस्त नहीं किया बल्कि पूरे के पूरे पाकिस्तान के हौंसले को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि एक आश्चर्य की बात है कि हमारे दुश्मन देश में एक युवा नेता है और हमारे विपक्ष में एक युवा नेता हैं, हमारे देश का सदन अलग है, लेकिन दोनों का सवाल एक है। विपक्ष के नेता का सवाल और दुश्मन देश के नेता का सवाल एक कैसे हो सकता है?

शांभवी चौधरी ने विपक्ष को दी चुनौती

शांभवी चौधरी ने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा, “मैं विपक्ष के साथियों को चुनौती देती हूं कि अपनी राजनीति से ऊपर उठकर कभी राष्ट्रहित के बारे में सोचना चाहिए। अगर सरहद पर सेना लड़ रही होती है तो उससे सवाल नहीं पूछे जाते है। उनको सलामी दी जाती है। आप बार-बार कह रहे हैं, सरकार ने सरेंडर कर दिया। सरेंडर से इनका विशेष लगाव इसलिए है क्योंकि इतिहास गवाह है कि इन्होंने कितनी बार विश्व के सामने भारत का सर झुका दिया। 1962 में नेहरू जी की दोस्ती की नीति ने हमारे देश की धज्जियां उड़ा दी थी। 14500 वर्ग मील जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। अमेरिका के तब के राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत हमसे भीख मांगते हुए आया था। 1971 में वेस्टर्न मीडिया ने हमारे प्रधानमंत्री के बारे में जो भी कहा हो, उन्होंने हमारे देश के बारे में कहा। उसने कहा था कि भारत एक धोखेबाज दोस्त है और भारतीय नागरिक धोखेबाज लोग हैं। यह था भारत का इमेज आपके शासनकाल में। 1985 में CIA की क्लासिफाइड रिपोर्ट्स है कि विदेशी तंत्र भारत की सरकार को चलाते हैं। 2008 में मुंबई हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और विपक्ष के लोग चुप बैठे रहे।”

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सनातन को विपक्ष की छोटी-मोटी राजनीति क्या खत्म कर पाएगी?- शांभवी

शांभवी चौधरी यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर एक छोटा-मोटा ऑपरेशन था। यह उनकी विचारधारा की समस्या है। यह इनकी गलती नहीं है, उनकी विचारधारा ही कहती है अगर हिंदू धर्म के पक्ष में बोलो तो सैफरन टेरर है। लेकिन अपनी राजनीति के लिए कहते हैं आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता। आतंकवादियों ने हमारे नागरिकों को धर्म पूछ कर मार दिया। जिस सनातन को मुगल की तलवार नहीं खत्म कर पाई, अंग्रेज नहीं खत्म कर पाए, उस सनातन को इनकी छोटी-मोटी राजनीति क्या खत्म कर पाएगी? जब आतंकवादियों ने धर्म पूछा और कलमा पढ़ने को कहा तो आज मैं उन पीड़ितों की बहन होने के नाते कहती हूं कि हम उन्हें महाभारत सुनाना चाहते हैं। महाभारत सत्य और धर्म की लड़ाई जरूर है लेकिन वह द्रौपदी के प्रतिशोध की भी लड़ाई है कि अगर नारी सम्मान की बात होगी तो फिर से महाभारत होगा। महाभारत में लिखा है धर्मो रक्षति रक्षित:। यानी जो धर्म की रक्षा करते हैं, धर्म भी उन्हीं की रक्षा करते हैं।”

शांभवी चौधरी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखकर दुनिया को बता दिया है कि एक चुटकी सिंदूर की कीमत क्या होती है? उन्होंने कहा कि जिसने हमारी बेटियों के माथे पर से सिंदूर को मिटाया, उसको हमारी सेना ने मिट्टी में मिला दिया।