राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2020-21 में गेहूं की सरकारी खरीद से केवल छह किसानों को लाभ हुआ। अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट द वायर को आरटीआई से ये जानकारी मिली है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (MCAFPD) द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा किसानों से गेहूं की खरीदी हुई मात्रा 500 मीट्रिक टन या राष्ट्रीय राजधानी में गेहूं की कुल पैदावार की एक फीसदी से भी कम है।

गेहूं की इतनी कम खरीद पिछले साल आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा की गई घोषणाओं के बिल्कुल उलट है। पिछले साल सरकार ने मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना की घोषणा की थी। इस योजना से दिल्ली सरकार को किसानों से केंद्र के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से करीब दोगुने दाम पर अनाज खरीदना था। तब सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का ऐलान किया था। सरकार ने कहा कि इस योजना के तहत गेहूं 2,616 प्रति क्विंटल MSP के हिसाब से खरीदा जाएगा जबकि धान के लिए MSP 2,667 रुपए तय किया गया। इस उद्देश्य के लिए दिल्ली सरकार ने 100 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया था।

Bihar Election 2020 Live Updates

हालांकि MCAFPD से मिली जानकारी से पता चलता है कि जमीनी स्तर पर ऐसा हुआ नहीं। दिल्ली के झुलझुली गांव के निवासी दीपक कुमार उन 20,000 किसानों में से एक हैं, जिन्हें दिल्ली सरकार ने कहा था कि वे ऊंचे एमएसपी से लाभान्वित होंगे। उन्होंने अपने खेत में आठ एकड़ में गेहूं बोया था। कुमार ने फोन पर द वायर को बताया कि मैं कुछ भी नहीं बेच पा रहा हूं। सरकार मंडियों में खरीद नहीं कर रही है। मेरे घर में लगभग 200 क्विंटल अनाज रखा हुआ है।

झुलझुली के करीब के ही एक गांव दरियापुर में सत्यन सेहरावत की 10 एकड़ जमीन है। वो भी नजफगढ़ मंडी में अपना अनाज नहीं बेच पाए, जबकि दिल्ली की ये सबसे बड़ी मंडी है। उन्होंने कहा कि वो खरीदने के लिए तैयार ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि हम जाएंगे और वो हमारी उपज खरीदने से इनकार कर देंगे।