भारतीय जनता पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड में अभी 4 वैकेंसी है। भाजपा का संसदीय बोर्ड वह संसदीय बोर्ड है जो संसद और राज्यों की विधानसभाओं में व्यापक नीति बनाने के लिए जिम्मेदार होता है। हैरानी की बात यह है कि कुल 11 सदस्यीय पैनल में चार रिक्तियां हैं। अरुण जेटली और सुषमा स्वराज की मृत्यु, उपराष्ट्रपति के रूप में वेंकैया नायडू की पदोन्नति और राज्यसभा के नेता के रूप में थावरचंद गहलोत की सेवानिवृत्ति के कारण रिक्तियों हुईं जिसे भरने के लिए कोई नियुक्ति नहीं की गई है।
बचे हुए सात सदस्यों में पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, एमपी सीएम शिवराज सिंह चौहान और संगठन महामंत्री बी एल संतोष शामिल हैं। कोविड के बाद औपचारिक फिजिकल बैठकें शायद कभी हुईं हो, इसके बजाय सामान्य प्रथा केवल तीन बड़े नेता पीएम मोदी, गृहमंत्री शाह और अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिए है। निर्णय की सूचना अन्य सदस्यों को फोन पर दी जाती है।
हालांकि अधिकांश सदस्यों को बैठकों में बोलने का समय कम ही मिलता है, फिर भी बोर्ड में एक पद बहुत प्रतिष्ठित होता है। योगी आदित्यनाथ के समर्थकों को लंबे समय से उम्मीद थी कि वह जल्द ही प्रतिष्ठित बोर्ड में शामिल होंगे। लेकिन यूपी के सीएम अपनी शानदार जीत के बावजूद अभी भी इंतजार कर रहे हैं।
बीजेपी संसदीय बोर्ड में जो रिक्तियां है उसे जल्द ही भरा जा सकता है और कई नेता बीजेपी संसदीय बोर्ड में शामिल होने की रेस में है। इनमें केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, पीयूष गोयल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं। वहीं थावरचंद गहलोत के रिटायर होने के बाद किसी एक दलित नेता को बीजेपी संसदीय बोर्ड में शामिल कर सकती है।
हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में 4 राज्यों में बीजेपी को जीत मिली है और इसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई। यूपी में बीजेपी की बड़ी जीत से सीएम योगी का कद भी पार्टी में काफी बढ़ा है। जाहिर है सीएम योगी का उपयोग बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण रूप से करेगी।