टॉप के ब्यूरोक्रेट रहे जवाहर सरकार फिर से गुस्से में हैं। एक बार वो बीजेपी तो गुस्सा हुए थे, तब वो प्रसार भारती के सीईओ थे। इतने उखड़े कि चार महीने पहले ही वहां से रुखसत हो गए। अबकि उनकी नाराजगी ममता बनर्जी को लेकर है। इतने कि वो तृणमूल कांग्रेस के एक हिस्से को सड़ा गला तक बता चुके हैं। उनके तेवरों से खुद ममता सकते में हैं तो पार्टी में कोहराम मचा है।

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टीएमसी सांसद जवाहर सरकार का कहना कहा कि उनकी पार्टी का एक हिस्सा पूरी तरह सड़ गया है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का 2024 में मुकाबला नहीं किया जा सकता है। सरकार ने कहा कि उनके परिवार के लोगों और दोस्तों ने कहा है कि टीएमसी नेताओं पार्थ चटर्जी एवं अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए। जवाहर सरकार के बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस में हलचल मच गई है। पार्टी पहले से ही भ्रष्टाचार के मामले में विरोधी दल के निशाने पर है। ऐसे में अपने ही सांसद के बागी तेवर ममता बनर्जी को ज्यादा रास नहीं आने जा रहे।

पार्थ चटर्जी मामले में उनकी नजदीकी अर्पिता मुखर्जी के घर से बरामद नकदी का जिक्र करते हुए सरकार ने कहा कि यह उनके लिए बेहद शर्मनाक क्षण था। उन्होने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि आप 2024 में ऐसे तत्वों के साथ भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकते हैं। पार्टी का एक हिस्सा पूरी तरह सड़ चुका है। इन सड़े हुये तत्वों को निकाल बाहर करना वक्त की मांग है, नहीं तो वो पूरे संगठन को खराब कर डालेंगे।

जवाहर सरकार आईएएस अफसर रह चुके हैं। उनको ममता बनर्जी ने यह सोचकर राज्य सभा में भेजा था कि इससे पार्टी का चेहरा बदलेगा लेकिन सरकार ने जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ ही आवाज उठाई है, उसमें लगता नहीं कि वो अब चुप बैठने वाले हैं। कठिन दौर से गुजर रही तृणमूल में इस तरह के बयान से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल और भी टूटेगा।

ममता के एक और सांसद सौगत रॉय ने उनके बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा भी कि अगर वो हमसे खुश नहीं तो क्यों राज्यसभा की सीट पर जमे बैठे हैं। उन्होंने सरकार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने सारे घटनाक्रम पर सीधे कमेंट करने से इन्कार किया है। उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि इस तरह के बयान से तृणमूल को नुकसान की बजाय फायदा होगा, क्योंकि ये हकीकत है।

सरकार का कहना है कि मोदी के वो खिलाफ गए क्योंकि सांप्रदायिकता की राजनीति के साथ उनका तानाशाह रवैया उन्हें नहीं भाता था। ममता बनर्जी ने उन्हें राज्यसभा भेजा तो राजनीति में रुचि न होने के बाद भी वो गए। सांप्रदायिकता और तानाशाही के खिलाफ उनकी लड़ाई मरते दम तक चलेगी।