जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग लगातार विपक्ष कर रहा है। इसको लेकर पिछले हफ़्ते जम्मू, श्रीनगर और नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की कांग्रेस ने अचानक घोषणा कर दी। हालांकि ये ऐलान सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को रास नहीं आया। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली पार्टी NC के कई नेताओं ने इसे अपने ही प्रयासों में बाधा डालने वाला बताया। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस की यह घोषणा विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए संयुक्त पत्र से प्रेरित लगती है। इसमें मांग की गई थी कि संसद के मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक कानून लाया जाए।
कांग्रेस पर NC ने उठाए सवाल
एनसी के एक नेता ने कहा, “यह तोड़फोड़ से कम नहीं है। छह साल तक वे हमारी दुर्दशा के बारे में चुप रहे। उन्हें डर था कि इससे चुनावों में उनकी संभावनाओं पर असर पड़ेगा। 9 महीने से (सरकार बनने के बाद से) हम राज्य के दर्जे के लिए लड़ रहे हैं और वे चुप रहे हैं। अब जब उनकी राज्य के दर्जे में अचानक रुचि पैदा हो गई है, तो यह तोड़फोड़ के अलावा और क्या हो सकता है?”
पिछले साल भारी जीत के साथ सत्ता में लौटने के बाद से नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अनुच्छेद 370 और 35A को बहाल करने की मांग करने के बजाय अपनी मांग को राज्य का दर्जा वापस करने तक सीमित रखा है। इसके कारण नेशनल कॉन्फ्रेंस में ही तकरार छिड़ी है और श्रीनगर के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी जैसे नेता इसकी आलोचना कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि पार्टी ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को नाराज करने के बजाय बेहतर तालमेल चाहती है। पार्टी में कुछ लोगों का मानना है कि उनका दृष्टिकोण काम कर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि केंद्र जल्द ही राज्य के सवाल पर फैसला लेगा। यही कारण है कि इन नेशनल कॉन्फ्रेंस नेताओं का मानना है कि कांग्रेस या तो उनकी पार्टी के काम का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है या राज्य का दर्जा वापस करने की किसी भी संभावना को विफल कर रही है।
एक नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने कहा, “इस समय हम इस अभियान के पीछे के तर्क को समझ नहीं पा रहे हैं। आम राय यही है कि मोदी सरकार दबाव में नहीं झुकेगी या कम से कम यह नहीं लगने देगी कि वह दबाव में है। इस संदर्भ में कांग्रेस का अभियान इस (राज्य का दर्जा वापसी) को आसान बनाने के बजाय, केवल बाधाएं ही पैदा करेगा।”
अब्दुल्ला क्यों हुए निराश?
एक अन्य नेता ने आश्चर्य जताया कि क्या कांग्रेस को राज्य का दर्जा बहाल करने की कोई भनक लग गई थी और वह इसका श्रेय खुद लेना चाहती थी। मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने भी कांग्रेस के कार्यों पर अपनी निराशा व्यक्त की और मंगलवार को कहा, “हमने पहली ही कैबिनेट बैठक में और बाद में विधानसभा में इसके (राज्य का दर्जा) लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। यह अच्छी बात है कि कांग्रेस को लंबे समय के बाद आखिरकार इस मुद्दे की याद आ रही है। लेकिन अगर उन्हें हमारे समर्थन की ज़रूरत है, तो उन्हें पहले हमसे बात करनी चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस से संपर्क नहीं किया है। उन्होंने कहा, “हमने इन बातों के बारे में सिर्फ़ अख़बारों में पढ़ा है। किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया। हाल ही में हुई इंडिया ब्लॉक मीटिंग में भी इन बातों का कोई ज़िक्र नहीं था। अगर उन्होंने हमें सूचित किया होता, तो हम शामिल हो जाते।”
‘नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता के दायरे से आगे नहीं देखती’
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि उन्हें कोई भी राजनीतिक गतिविधि शुरू करने से पहले किसी की अनुमति की ज़रूरत नहीं है। एक नेता ने कहा, “नेशनल कॉन्फ्रेंस हमें क्या बता सकती है? चाहे अनुच्छेद 370 हो, 35A हो या राज्य का दर्जा, ये सब कश्मीर को कांग्रेस की देन है। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिलाना कांग्रेस की ज़िम्मेदारी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता के दायरे से आगे नहीं देखती। उनके लिए कुर्सी ही सब कुछ है।”
एक अन्य कांग्रेस पदाधिकारी ने कहा कि यह कहना गलत है कि पार्टी पिछले 9 महीनों से इस मुद्दे पर चुप थी। उन्होंने कहा, “हम एक राष्ट्रीय पार्टी हैं और हमें केंद्रीय आदेश का पालन करना होता है। राहुल जी और खड़गे जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। हम और क्या कर सकते थे? आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर इकाई ने भी उसका पालन किया।”
पहले दिन से जारी हैं मतभेद
हालांकि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था, लेकिन गठबंधन में पहले दिन से ही मतभेद देखने को मिले हैं। दोनों दलों के नेता किसी भी चुनाव से पहले गठबंधन के खिलाफ थे और नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत और कांग्रेस के ख़राब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस सरकार से बाहर रही। तब से, दोनों सहयोगियों के बीच कोई खास मेलजोल नहीं रहा है। वहीं अब ताज़ा विवाद उन्हें अलग-थलग कर रहा है।