Jammu Kashmir Assembly Elections Results 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में एनसी कांग्रेस गठबंधन ने अच्छी जीत दर्ज की है। एनसी ने जहां 42 सीटें अपने नाम की है, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने 17 सीटें जीती है। एनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बडगाम और गांदरबल दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं जीत के बाद उनके पिता उमर अब्दुल्ला ने सीधे तौर कहा था कि राज्य के सीएम उमर अब्दुल्ला ही होंगे। उमर अब्दुल्ला ने अपनी सरकार के एजेंडे से लेकर उपराज्यपाल के साथ टकराव के साथ कयासों और कांग्रेस के प्रदर्शन पर बयान दिया है।

अपनी सरकार और एलजी के साथ तालमेल को लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू कश्मीर एक केंद्र एक केंद्र शासित प्रदेश हैं। यह पहली बार है जब हमारे पास एक केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार होगी। यह पहली बार है जब उपराज्यपाल (एलजी) को एक निर्वाचित सरकार के साथ काम करना होगा। एलजी के साथ टकराव के कयासों पर उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत सी पहली चीजें हैं जिन्हें हमें समझना होगा। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि कौन से विभाग हमारे पास हैं। हम क्या कर सकते हैं और हमारे काम की सीमाएं क्या है और हम कितना आगे बढ़ सकते हैं।

अनुच्छेद-370 को लेकर क्या है रुख

अनुच्छेद 370 की वापसी के नेरेटिव और कांग्रेस के होते विरोध पर उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि 370 नेशनल कॉन्फ्रेंस की राजनीतिक विचारधारा का हिस्सा है लेकिन हमने हमेशा कहा है कि यह ऐसी लड़ाई नहीं है जो कल खत्म हो जाएगी। हमने हमेशा कहा है कि यह ऐसी लड़ाई है जो केंद्र में सरकार बदलने तक जारी रहेगी। मैं लोगों को बार-बार यह बताने में बहुत सावधान रहा हूं कि आप उन लोगों से जो हमसे छीना गया है, उसे वापस पाने की उम्मीद नहीं कर सकते।

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केंद्र के साथ कैसे होंगे संबंध?

केंद्र शासित प्रदेश होने के चलते ज्यादातर शक्तियां उपराज्यपाल के पास हैं। इसके चलते यह भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या जम्मू कश्मीर का हाल भी दिल्ली के जैसा होगा। इसको लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम इस नई पारी की शुरुआत लड़ाई-झगड़े के इरादे से नहीं कर रहे हैं। हम ईमानदारी से इसे एक अच्छे, स्वस्थ कामकाजी रिश्ते के उद्देश्य से शुरू कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का विरोध करना बंद कर देगी। लेकिन मैं नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी के कामों और जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार के कामों के बीच एक रेखा खींचने की कोशिश करता रहूंगा।

उमर अब्दुल्ला बोले – जनता ने नहीं दिया लड़ाई के लिए वोट

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमारे पास पूर्ण राज्य की शक्तियां नहीं है। मैं इसे जितना संभव हो उतना स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं। दिल्ली एक राजस्व अधिशेष वाला क्षेत्र है। जम्मू और कश्मीर एक गंभीर राजस्व घाटा वाला क्षेत्र है। पहले दिन से ही (एलजी के साथ) लड़ाई में शामिल होने से मुझे जम्मू और कश्मीर के मतदाताओं की चिंताओं को दूर करने में कैसे मदद मिलेगी?

उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने गठबंधन को वोट इसलिए नहीं दिया है। वे नहीं चाहते कि हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर आत्मसमर्पण करें लेकिन वे नहीं चाहते कि हम पहले दिन से ही लड़ाई शुरू कर दें और मुझे नहीं लगता कि हमें दर्शकों के सामने खेलना चाहिए।


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कांग्रेस के साथ तय है कॉमन मिनिमम एजेंडा

कांग्रेस के साथ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और दोनों दलों के बीच टकराव को लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि फिलहाल कांग्रेस को यह पता लगाना होगा कि गठबंधन, मंत्रियों और इस तरह की चीजों के मामले में वह कहां फिट बैठती है। इसलिए, हम इसका पता लगा लेंगे। हम अभी तक उस हद तक नहीं पहुंचे हैं। उनका कहना है कि वे इस मुद्दे पर बारीकी से विचार करेंगे।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमारी पिछली हमारी सरकार थी, तब हमारे पास सीएमपी नहीं था, लेकिन फिर हमें इसके लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।

उन्होंने कहा कि हमें जितना हो सके उतना ज्यादा काम करने पर फोकस करना चाहिए। इसलिए, हम इसे उसी दृष्टिकोण से देखेंगे। मैं न्यूनतम शब्द नहीं करता है। इसके अलावा कांग्रेस के चुनावी परफॉर्मेंस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस को खुद पता है कि उसका प्रदर्शन कैसा है और वह खुद ही इसो लेकर आंकलन करेगी।

जम्मू की नहीं होगी अनदेखी

विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने जम्मू में अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि कश्मीर में एनसी-कांग्रेस ने। इसके चलते सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि क्या एनसी-कांग्रेस सरकार जम्मू के साथ न्याय कर पाएगी। इसको लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वे पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि राज्य की सरकार सबसे साथ समान न्याय करेगी। उन्होंने कहा कि 30 प्रतिशत लोगों ने उन्हें वोट दिया और 70 प्रतिशत ने नहीं। इसका मतलब यह तो नहीं कि वे केवल 30 प्रतिशत लोगों के लिए ही काम करेंगे।