जम्मू-कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला बयान देते हुए उन्होंने जम्मू क्षेत्र का ज़िक्र किया और कहा कि ‘हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि मौजूदा सरकार में उनकी आवाज या प्रतिनिधित्व नहीं है। हमने इसे सुनिश्चित करने के लिए एक उपमुख्यमंत्री बनाया है और आगे भी हमारा यही प्रयास रहेगा।’ 

नौशेरा के विधायक सुरिंदर चौधरी ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है। जबकि वरिष्ठ एनसी नेता और डीएच पोरा से विधायक सकीना इटू को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। उनके साथ एनसी के मेंढर विधायक जावेद राणा, रफियाबाद विधायक जावेद डार और निर्दलीय विधायक सतीश शर्मा ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। मंत्रिपरिषद में तीन और मंत्रियों को शामिल किए जाने की उम्मीद है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री बनने के लिए मुबारकबाद दी और कहा कि केंद्र जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए उन्हें हर तरह की मदद देगा। 

कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं 

 एनसी और कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर चुनाव पूर्व गठबंधन के तहत लड़ा था लेकिन कांग्रेस उमर अब्दुल्ला की सरकार में शामिल नहीं हुई है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, कांग्रेस विधायक दल के नेता जीए मीर ने कहा, “केंद्र ने तीन-चरणीय प्रक्रिया के तहत राज्य का दर्जा देने का वादा किया था – परिसीमन, फिर चुनाव और राज्य का दर्जा। अब चुनाव भी खत्म हो चुके हैं और केंद्र के पास जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल न करने का कोई कारण नहीं बचा है। जब भी ऐसा होगा हम सरकार में शामिल होंगे।”

शपथ ग्रहण समारोह में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले और वामपंथी नेता डी राजा सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेता मौजूद थे।

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उमर अब्दुल्ला ने पहली पोस्ट में लिखी यह बात

मुख्यमंत्री के तौर पर एक्स पर अपनी पहली पोस्ट में उमर अब्दुल्ला ने लिखा, “मैंने डीजी @JmuKmrPolice (जम्मू-कश्मीर पुलिस) से बात की है कि जब मैं सड़क मार्ग से कहीं जाऊं तो कोई ‘ग्रीन कॉरिडोर’ या यातायात रोक नहीं होना चाहिए। मैंने उन्हें निर्देश दिया है कि लोगों को होने वाली असुविधा को कम से कम किया जाए और सायरन का इस्तेमाल कम से कम किया जाए। किसी भी तरह की लाठी लहराने या आक्रामक हाव-भाव से पूरी तरह बचना चाहिए। मैं अपने कैबिनेट सहयोगियों से भी यही उदाहरण अपनाने के लिए कह रहा हूं। हर चीज में हमारा व्यवहार लोगों के अनुकूल होना चाहिए। हम यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं, उन्हें असुविधा पहुंचाने के लिए नहीं।”