Congress Candidate Ariba Khan Okhla: 70 सीटों वाली दिल्ली की विधानसभा में कुछ सीटों पर जोरदार चुनावी मुकाबला है। ऐसी ही एक सीट ओखला है जिसके चुनाव पर दिल्ली के राजनीतिक विश्लेषक भी नजर रख रहे हैं। खास बात यह है कि इस सीट पर आम आदमी पार्टी के सामने बीजेपी नहीं कांग्रेस को ज्यादा बड़ी चुनौती माना जा रहा है।

ओखला से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार अरीबा खान की इस सीट पर काफी चर्चा है। बीजेपी ने यहां से पूर्व पार्षद मनीष चौधरी को टिकट दिया है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी इस सीट पर चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना रही है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 5 फरवरी को होनी है जबकि मतों की गिनती 8 फरवरी को होगी।

Delhi assembly election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में BJP के बजाय कांग्रेस को लेकर ज्यादा अलर्ट क्यों है AAP?

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दिल्ली चुनाव में कई सीटों पर आप का खेल बिगाड़ सकती है कांग्रेस। (Source-jansatta)

कौन हैं अरीबा खान?

अरीबा खान की उम्र सिर्फ 31 साल है। उन्हें राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता आसिफ मोहम्मद खान दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेता हैं और इस विधानसभा सीट से दो बार विधायक और इस इलाके में दो बार पार्षद रह चुके हैं। आसिफ मोहम्मद खान की पहचान एक दबंग नेता के रूप में है। उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए ही अरीबा खान आगे आई हैं। अरीबा ने 2022 में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव में जीत दर्ज की थी।

आसिफ मोहम्मद खान द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहते हैं कि साल 2002 में जब वह 9 महीने तक जेल में थे, तब उन्होंने जेल की सलाखों के पीछे से ही एमसीडी के चुनाव में नामांकन दाखिल किया था। अरीबा उस समय सिर्फ 7 साल की थीं लेकिन वह उनके चुनाव अभियान का चेहरा बन गई थीं। आसिफ बताते हैं कि इस दौरान अरीबा ने कम उम्र में ही जमकर चुनाव प्रचार किया और वह जेल से ही एमसीडी का चुनाव जीत गए। आसिफ मोहम्मद खान कहते हैं कि अरीबा ने उस वक्त ही यह दिखा दिया था कि उनमें लीड करने की काबिलियत है।

दिल्ली में कांग्रेस और AAP से ज्यादा दलित नेताओं को BJP ने दिया टिकट, सामान्य सीटों पर भी बनाया उम्मीदवार, इसका कितना फायदा मिलेगा?

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दलित वोटों पर कब्जे की है लड़ाई। (Source-jansatta)

आसिफ मोहम्मद खान कहते हैं कि अगर अरीबा विधानसभा का चुनाव जीत जाती हैं तो वह सभी लोगों को साथ लेकर चलेंगी और विधानसभा में एक मजबूत वक्ता के रूप में सामने आएंगी क्योंकि वह जानती हैं कि उन्हें मीडिया और आम लोगों के सामने कैसे पेश आना है।

अरीबा को ‘ओखला की बेटी’ बताते हैं समर्थक

अरीबा खान अपने समर्थकों के साथ जोरदार चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं।
हर शाम को मगरिब की नमाज के बाद भी अरीबा घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करती हैं। उनके समर्थक ‘लड़की हो तुम लड़ सकती हो’ के पोस्टर लेकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता अरीबा खान को ‘ओखला की बेटी’ और उनके पिता मोहम्मद आसिफ खान को ‘ओखला का शेर’ बताते हैं।

अमानतुल्लाह खान को दोनों बार मिली बड़ी जीत

ओखला की इस बेहद दिलचस्प राजनीतिक लड़ाई में सवाल यही बना हुआ है कि क्या अरीबा खान अमानतुल्लाह खान के सियासी चक्रव्यूह को भेद पाएंगी? क्या ओखला विधानसभा सीट के मतदाता उनका साथ देंगे क्योंकि इस सीट पर अमानतुल्लाह खान 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे थे।

दिल्ली में बीजेपी, AAP, कांग्रेस ने किस जाति को दिए कितने टिकट…समझिए राजधानी के चुनाव में जाति का पूरा खेल

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दिल्ली के चुनाव में कितना चलेगा जाति का फैक्टर। (Source-Jansatta)

2015 में अमानतुल्लाह खान की जीत का अंतर 64 हजार से ज्यादा वोटों का था जबकि 2020 में उन्होंने इस अंतर को और बढ़ाया था और 71 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। दोनों ही चुनाव में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार ब्रह्म सिंह बिधूड़ी को शिकस्त दी थी। अमानतुल्लाह को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है।

अमानतुल्लाह के सामने क्या हैं मुश्किल?

इस बार अमानतुल्लाह खान के लिए चुनावी मुकाबला मुश्किल माना जा रहा है तो इसके पीछे कई ठोस वजह हैं। पहली वजह यह है कि अमानतुल्लाह खान पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं और पिछले साल सितंबर में मनी लांड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। अमानतुल्लाह खान के लिए मुश्किल की दूसरी वजह यहां पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का चुनाव लड़ना भी है।

एआईएमआईएम ने शिफा-उर-रहमान को बनाया उम्मीदवार

एआईएमआईएम ने यहां से जामिया मिलिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान को मैदान में उतारा है। रहमान 2020 के दिल्ली दंगों के सिलसिले में जेल में बंद हैं। उनके लिए ओवैसी प्रचार कर चुके हैं।

बीजेपी ने इस बार इस सीट से उम्मीदवार बदला है और मनीष चौधरी को टिकट दिया है। मनीष चौधरी विजय विहार वार्ड से पार्षद रह चुके हैं। बीजेपी यहां हिंदू मतदाताओं के भरोसे है।

ओखला सीट पर है 52% मुस्लिम आबादी

ओखला सीट पर 52% मुस्लिम आबादी है। इसलिए इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए मुस्लिम समुदाय का बड़ा समर्थन हासिल करना जरूरी है। अमानतुल्लाह खान को इस बात का डर जरूर है कि एआईएमआईएम के चुनाव लड़ने से मुस्लिम मतों का बंटवारा हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो इससे बीजेपी को फायदा मिलेगा। शाहीन बाग मार्केट में बिरयानी की दुकान चलाने वाले शमशाद बताते हैं कि ओखला के मतदाता अमानतुल्लाह और अरीबा को लेकर कन्फ्यूजन में हैं जबकि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो शिफा-उर-रहमान को वोट देने का मन बना चुके हैं।

निश्चित रूप से ओखला दिल्ली की हॉट सीटों में से एक है। देखना होगा कि क्या अमानतुल्लाह खान यहां से जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे और अरीबा खान उनके लिए कितनी बड़ी चुनौती बनेंगी?

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