सुजीत बिसोयी
ओडिशा के भुवनेश्वर के एक निजी मेडिकल कालेज में एसी कंप्रेसर विस्फोट में जलने से जिस व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया था, वह जीवित मिला और उसी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। इस घटना में सबसे ज्यादा दुखद यह बात है कि उस व्यक्ति के मृत घोषित कर दिए जाने की सूचना को उसकी पत्नी सहन नहीं कर सकी और फांसी लगाकर जान दे दी। अब पत्नी की मौत के बाद अचानक अस्पताल से बताया गया उसका पति जीवित है। अस्पताल कर्मियों की इस लापरवाही से वह परिवार तबाह हो गया। हादसे में घायल पति का नाम दिलीप सामंत्रे (34) है और वह कांट्रैक्टक्चुअल वर्कर के रूप में काम करता है।
घर वालों ने दूसरे मृतक का कर दिया अंतिम संस्कार
घटना में जिस व्यक्ति की मौत हो गई है, उसके शव की गलत पहचान की गई। उसे दिलीप सामंत्रे (Dilip Samantray) बता दिया गया और उसका शव परिवार को सौंप दिया गया। परिवार ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया। यह घटना हाई-टेक अस्पताल में हुई जहां कंप्रेसर विस्फोट में एक आउटसोर्सिंग एजेंसी के चार कर्मचारी घायल हुए थे। घायलों में से दो की इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि दो अन्य की अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है।
अस्पताल प्रशासन ने कहा- नियम के तहत काम हुआ
अस्पताल की सीईओ स्मिता पाधी ने कहा कि विस्फोट के बाद एजेंसी के एक कर्मचारी ने घायल लोगों की पहचान की और उसके द्वारा दिए गए विवरण के आधार पर उन्होंने रिकॉर्ड बनाए। पाधी ने संवाददाताओं से कहा, “34 वर्षीय दिलीप सामंत्रे (रिकॉर्ड के अनुसार) के रूप में पहचाने गए एक व्यक्ति की 30 दिसंबर को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई और प्रोटोकॉल के अनुसार, हमने पुलिस को सूचित किया। उनके परिवार के सदस्यों को उचित प्रक्रियाओं के बाद शव सौंप दिया।”
हादसे में घायल चार लोगों में से दो की मौत हुई है
पहली जनवरी को दिलीप की पत्नी 24 साल की सौम्यश्री जेना ने ब्लास्ट में अपने पति की मौत की जानकारी मिलने के बाद फांसी लगा ली। विस्फोट में घायल एक अन्य व्यक्ति, जिसकी पहचान श्रीतम साहू के रूप में हुई, ने 3 जनवरी को दम तोड़ दिया। शेष दो को गुरुवार को उनकी स्वास्थ्य स्थिति में मामूली सुधार के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ आईसीयू में भर्ती कराया गया।
रिकॉर्ड के अनुसार, दोनों व्यक्तियों की पहचान ज्योति रंजन मलिक और सीमांचल बिस्वाल के रूप में की गई। पाढ़ी ने कहा, “जब डॉक्टरों ने एक मरीज से उसका नाम पूछा, तो उसने कहा ‘दिलीप सामंत्रे’। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और मनोचिकित्सक अमृत पत्तोजोशी को रोगी की मानसिक स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए कहा गया, यह आशंका जताते हुए कि वह भ्रम में है।”
पाधी ने कहा, जब मरीज से सामंत्रे के परिवार के सदस्यों के नाम के बारे में पूछा गया, तो उसने बिल्कुल सही उत्तर दिया। पट्टोजोशी ने कहा, “एक डॉक्टर के रूप में मैं 90% से 95% आश्वस्त हूं कि जिस मरीज का इलाज चल रहा है, वह दिलीप सामंत्रे ही है। यदि आवश्यक हुआ तो डीएनए विश्लेषण किया जाएगा।” इसका मतलब है कि जिस व्यक्ति का शव दिलीप सामंत्रे के परिवार वालों को दिया गया और उन्होंने दिलीप सामंत्रे समझकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया और पति की मौत के दुख में पत्नी ने फांसी लगाकर जान दे दी, वह रंजन मल्लिक था। अब रंजन मल्लिक के परिवार वाले उसका शव मांग रहे थे।
अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि भ्रम की स्थिति इसलिए थी क्योंकि विस्फोट में घायल व्यक्तियों के चेहरे पूरी तरह जल गए थे। इससे पहचान नहीं हो पा रही था। अस्पताल के अधिकारियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए,