केंद्र सरकार ने ट्विटर को अंतिम नोटिस दे दिया है। इसमें कहा गया है कि आप या तो नए आइटी कानून के तहत अपने अफसरों को भारत में पोस्ट करें अन्यथा नतीजे भुगतने को तैयार हो जाएं। उल्लेखनीय है ट्विटर छोड़ सोशल मीडिया के बाकी प्लेटफॉर्म्स ने पहले ही सरकार की बात मान ली है।

ट्विटर और सरकार के बीच इस भिड़ंत की रूपरेखा सुबह ही बनती दिख रही थी जब ट्विटर ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के पर्सनल एकाउंट से ब्लू टिक मार्क उड़ा दिया था। सोशल मीडिया में पहचान को ऑथेंटिक बनाने के साथ सम्माननीय बनाने वाला यह नीला निशान बाद में बहाल तो हो गया लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी। ट्विटर का कहना है कि नायडू का एकाउंट छह माह से निष्क्रिय था, नियमों के मुताबिक इसीलिए नीला निशान हटा लिया गया।

शनिवार को भेजे नोटिस में सरकार ने कहा है कि ट्विटर इनकारपोरेटेड को एतत् द्वारा अंतिम नोटिस दी जा रही है…कि वह भारतीय कानून का तुरंत पालन करें अन्यथा आइटी एक्ट 2000 के सेक्शन 79 की तहत मिलने वाली छूट वापस ले ली जाएगी। सेक्शन 79 के तहत ट्विटर को इनडेमनिटी यानी मिली हुई है। इसका मतलब होता है कि सोशल मीडिया में होने वाली पोस्टिंग के लिए ट्विटर को दोषी नहीं माना जाएगा। इनडेमनिटी की यह सुविधा ट्विटर के साथ-साथ बाकी सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को हासिल है। लेकिन, फेसबुक आदि बाकी सब ने जबकि सरकार की बात मान ली है, ट्विटर अभी तक न मानने पर अड़ा रहा है।

ट्विटर और सरकार के बीच फरवरी से ही जोरआजमाइश चल रही है। तब टेक्नॉलजी मंत्रालय ने ट्विटर से मोदी प्रशासन की निंदा करने वाले ट्वीट हटा लिए जाएं। इस शो डाउन के बाद भारत सरकार ने नए नियमों की की घोषणा की। इन नियमों का मकसद था कि सोशल मीडिया कंपनियां ट्वीट्स/पोस्ट्स को डिलीट करने की गुजारिश तत्परता से मानें। इसीलिए कंपनियों को शिकायत निवारण अधिकारी (ग्रीवान्स सेल ऑफिसर) तैनात करने को कहा गया था। पिछले महीने ट्विटर द्वारा कुछ भाजपा नेताओं के ट्वीट्स पर मैनीपुलेटेड मीडिया की चिप्पी लगाने के बाद भी बड़ा बखेड़ा हुआ था।

इस बीच ट्विटर ने जबकि कहा है कि उसने सरकार की इच्छा का सम्मान करते हुए भारत में ग्रीवांस सेल में आदमी नियुक्त कर दिए हैं, सरकार का कहना है कि उसने अन्य कानूनो का पालन अब तक नहीं किया है।