सपा नेता पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाने के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट भी हैरत में रह गया। जजों ने यूपी सरकार के वकील से सवाल किया कि क्या इस तरह के मामले में NSA लगाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट का सवाल था कि पुलिस ने ऐसा क्यों किया और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने इसे क्यों मंजूर किया। जजों ने सपा नेता को NSA के मामले से बरी करते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बकाया राजस्व के मामले में NSA लगाकर जिस तरह का एक्शन मुरादाबाद की पुलिस और प्रशासन ने लिया है, उसे देखकर वो वाकई स्तब्ध रह गए हैं।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अमानुल्ला की बेंच ने फैसले में कहा कि इस मामले को देखने के बाद उन्हें लगता है कि यूपी में राजनीतिक हिसाब किताब प्रशासन और पुलिस के जरिये चुकाने के आरोप क्यों लगते हैं। उन्हें साफ दिख रहा है कि आरोपी को फंसाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी गई। मामले को देखकर साफ है कि पुलिस और प्रशासन ने सीमा से परे जाकर बगैर दिमाग का इस्तेमाल किया इस तरह का एक्शन लिया।

अप्रैल 2022 में मुरादाबाद पुलिस ने NSA के सेक्शन 3(2) के तहत कार्रवाई शुरू की थी

मुरादाबाद के सपा नेता युसूफ मलिक ने अपने खिलाफ हो रही ज्यादती को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। मलिक के केस की पैरवी वसीम कादरी और सईद कादरी ने की। उनका आरोप था कि योगी सरकार ने राजनीतिक बदला लेने के लिए उनके मुवक्किल की आजादी छीन ली। दोनों वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मलिक के खिलाफ बीते साल मार्च में दो केस दर्ज किए गए थे। अप्रैल में मुरादाबाद पुलिस ने NSA के सेक्शन 3(2) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी।

सरकार की हीलाहवाली की वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट में नहीं हो पा रही सुनवाई

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मुरादाबाद ने बगैर मामले की तह में जाए पुलिस को ऐसा करने की मंजूरी दे दी। उन्होंने साक्ष्यों पर नजर डाले बगैर 24 अप्रैल 2022 को NSA के तहत युसूफ को अरेस्ट करने का आदेश जारी कर दिया। युसूफ ने इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील भी की। लेकिन सरकार की तरफ से की गई देरी की वजह से सुनवाई नहीं हो पा रही। इसी दौरान सरकार की तरफ से दो और आदेश जारी कर दिए गए जो युसूफ की आजादी का गला घोंटने के लिए बदनीयती से जारी किए गए थे।

युसूफ के समधी के घर चस्पा किए गए थे हाउस, वॉटर टैक्स बकाए के नोटिस

विवाद तब शुरू हुआ जब नगर निगम मुरादाबाद ने युसूफ के समधि के घर पर हाउस और वॉटर टैक्स के बकाए को लेकर दो नोटिस चस्पा कर दिए। ये रकम तकरीबन 23 लाख रुपये थी। बीते साल 26 मार्च को पहला केस दर्ज किया गया। प्रशासन का आरोप था कि युसूफ और दूसरे लोगों ने रेवेन्यु डिपार्टमेंट के अधिकारियों को प्रॉपर्टी में घुसने से रोका। 27 मार्च को दूसरा केस दर्ज किया गया। इसमें नगर निगम के इंस्पेक्टर का आरोप था कि उन्होंने विवादित प्रॉपर्टी पर सील लगाई थी। लेकिन उसे तोड़ दिया गया। उस केस में युसूफ का नाम नहीं था। उसके बाद NSA लगा दिया गया।