नेशनल पॉपुलेशन रजिस्ट्रर (एनपीआर) अपडेशन के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट की डिटेल्स शेयर करना अनिवार्य होगा। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने एनपीआर के ‘एच्छिक’ और ‘वैकल्पिक’ पर फैले असमंजस को दूर करते हुए जानकारी दी है कि अगर किसी शख्स के पास आधार, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस या फिर पासपोर्ट है तो उसे इनकी जानकारी देना अनिवार्य होगा। वहीं जिनके पास इनमें से कुछ भी नहीं है तो उनके लिए यह अनिवार्य नहीं होगा।
हालांकि उनसे इसके लिए किसी भी दस्तावेज की मांग नहीं की जाएगी। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि ‘वैकल्पिक’ का मतलब यह है कि अगर किसी शख्स के पास इनमें से कुछ भी नहीं है तो वह फॉर्म में जगह खाली छोड़ सकता है। बता दें कि इससे पहले 24 दिसंबर को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जनगणना 2021 और एनपीआर पर जानकारी देते हुए बताया था कि आधार नंबर की जानकारी देना ‘वैकल्पिक’ होगा।
वहीं सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सेल्फ सर्टिफिकेशन या सेल्फ डेक्लरेशन की बात कही थी जबकि अमित शाह ने इसे ‘एच्छिक’ बताया था। उन्होंने कहा था कि अगर एनपीआर में कुछ जानकारियां नहीं भी होंगी तो चलेगा। लेकिन गृह मंत्रालय के सूत्रों ने अब जो जानकारी दी है वह इसके उलट है।
बता दें कि 2011 की जनसंख्या गणना से पहले 2010 में एनपीआर में जानकारियां एकत्रित की गई थी। अब 10 साल बाद और 2021 की जनगणना से पहले इसे अपडेट किया जा रहा है। सरकार ने एनपीआर अपडेशन को मंजूरी देने से पहले नागरिकता कानून में संशोधन किया था। इसके बाद से ही देशभर में इस संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) को लेकर भी लोग गुस्से में हैं।
एनपीआर में मांगी जा रही जानकारियों और इसमे पूछे जा रहे नए सवालों का विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि एनपीआर में ऐसी जानकारियों और दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो देशभर में एनआरसी लागू कराने की तरफ मोदी सरकार का पहला बड़ा कदम है।