आत्माराम भाटी

दुनिया के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने अपनी एक जिद पर अड़े हुए हैं। वह यह कि मैं यह उजागर नहीं करूंगा कि मैंने कोरोना की टीके की खुराक ली है या नहीं। इस का खामियाजा उन्हें लगातार झेलना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह उन्हें दो महत्त्वपूर्ण टेनिस प्रतियोगिताओं इंडियन वेल्स और मियामी ओपन में भाग लेने से इसलिए वंचित होना पड़ा, क्योंकि इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए उन्हें अमेरिका आना था। लेकिन अमेरिका में अभी भी कोरोना नियमों के कारण उन्हें बिना कोरोना टीके की खुराक के आने की इजाजत नहीं मिली। जबकि इंडियन वेल्स टेनिस प्रतियोगिता के आयोजकों ने तो इनको मैचों के ड्रा तक में जगह दे दी थी। जोकोविच भी यहां खेलने को लेकर तैयार भी थे।

इससे पहले भी जोकोविच को अपने जिद्दीपन के कारण आस्ट्रेलियाई ओपन में खेलने से वंचित होना पड़ा। जब उन्हें वहां की फेडरल कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने जनहित के स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानते हुए इमिग्रेशन मिनिस्टर एलेक्स हाके द्वारा जोकोविच का वीजा रद्द करने की अपील पर सहमति जताते हुए निर्वासन पर मुहर लगा दी। इसके बाद जोकोविच को अपनी जिद के आगे हार का सामना करते हुए 10 दिन तक चले इस हंगामे के बाद बिना खेले ही वहां से निर्वासित हो कर उड़ान पकड़नी पड़ी।

एक तरह से कह सकते हैं कि उन्होंने ऐसी जिद पकड़कर अपने पसंदीदा ग्रैंड स्लैम, जिसे वे सबसे ज्यादा नौ बार जीत चुके हैं, से दूरी बनाकर अपने करिअर के 21वें और सबसे ज्यादा ग्रैंडस्लैम जीतने वाले खिलाड़ी बनने के अवसर से अपने आप को वंचित कर लिया। जोकोविच की अनुपस्थिति का फायदा राफेल नडाल को मिल गया और उन्होंने अपने जीवन का 21वां ग्रैंडस्लैम जीत कर सबसे ज्यादा ग्रैंडस्लैम जीतने का ऐतिहासिक रेकार्ड अपने नाम कर लिया।

जोकोविच को अपने पसंदीदा ग्रैंडस्लैम के मैदान पर नया इतिहास बनाने के अवसर से तो हाथ धोना ही पड़ा, साथ ही आस्ट्रेलिया की वीजा रद्द होने पर निर्वासन की जो नीति है, उसके अनुसार तीन साल तक यहां आने पर प्रतिबंध का सामना भी करना पड़ सकता है। एक बात और टेनिस के शीर्ष सौ पुरुष खिलाड़ियों में से पिचानब्बे ने एक नहीं दोनों दो खुराक ले ली हैं। दुनिया की 10 बड़ी स्पोर्ट्स लीग व लगभग सभी खेलों के 98 फीसद खिलाड़ियों का पूर्णत: टीकाकरण हो चुका है तो जोकोविच को भी आनाकानी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वे नम्बर एक टेनिस खिलाड़ी हैं और दुनिया के युवाओं के आदर्श हैं। उन्हें तो खुद डोज लगवाकर अपने चाहने वालों को भी डोज लगवाने के लिए प्रेरित करना चाहिए था। लेकिन पता नहीं जोकोविच का दिलोदिमाग शुरू से ही टीके के खिलाफ क्यों रहा।

जिस तरह से कई दिन के नाटकीय घटनाक्रम के बाद अपनी गलत जिद से जोकोविच को बिना खेले ही अपने पसंदीदा टेनिस ग्रैंडस्लैम में एक तरह से हार का सामना कर आस्ट्रेलिया से विदा होना पड़ा। उसके बाद अब फिर से दो महत्त्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में अपना जलवा दिखाने से वंचित होना पड़ा, यह एक समझदार व अपने खेल के शहंशाह के लिए किसी भी मायने में सही नहीं है कि वे अपनी जिद्द के पीछे अपने प्रिय टेनिस प्रेमियों को भी निराश करें।

मानकर चलिए की जब करोड़ों खर्च वाले बड़े टूर्नामेंंट भी कोरोना महामारी से लोगों की जान बचाने को लेकर समय पर आयोजित नहीं हो सके या रदद् हो गए तो एक अकेले व्यक्ति को कोरोना के टीकों की खुराक की अहमियत समझते हुए अपने साथ दूसरों के स्वास्थ्य की परवाह करनी चाहिए। टेनिस के कई दिग्गज खिलाड़ी कह चुके हैं कि खेल व आमजन की सुरक्षा से बड़ा खिलाड़ी नहीं होता है।

अभी साल के ढाई माह निकले हैं। दो माह बाद मई में फ्रेंच व जून में विम्बलडन जैसी प्रतिष्ठित ग्रैंडस्लैम होनी है और इनके अलावा भी बहुत से टूर्नामेंट होने हैं। और जहां भी यह होंगे, कोरोना को लेकर हर देश की अपनी नीति होगी कि वे बिना कोरोना डोज खेलने की अनुमति दे या नहीं। अगर खुराक जरूरी हुई तो जोकोविच के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा।