नोटबंदी के सरकार के फैसले से देश के आम लोगों विशेषकर गरीबों, ग्रामीणों, महिलाओं और किसानों पर व्यापक प्रभाव पड़ने का दावा करते हुए विपक्ष ने बुधवार (16 नवंबर) को आरोप लगाया कि समुचित तैयारी के बिना यह बड़ा कदम उठाने के चलते न केवल देश में आर्थिक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई बल्कि पूरी दुनिया में यह संदेश गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में काले धन का बोलबाला है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आम जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनहीन होने का आरोप भी लगाया। राज्यसभा में बुधवार को शीतकालीन सत्र के पहले दिन नोटबंदी और इससे आम जनता को हो रही परेशानी के मुद्दे को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा को शुरू करते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा ‘सरकार सबसे पहले यह बताए कि काले धन की परिभाषा क्या है।’

उन्होंने कहा कि आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को मध्य रात्रि से अमान्य किए जाने का ऐलान किया। ‘स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश के माध्यम से इतने बड़े फैसले की जानकारी दी।’ उन्होंने कहा ‘प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि काले धन, आतंकवाद पर रोक के लिए यह कदम जरूरी है। रुपए का उपयोग आतंकवादी भी कर रहे हैं और जाली मुद्रा भी चलन में है। इसलिए यह कदम जरूरी है।’ शर्मा ने कहा कि जब यह ऐलान किया गया तब देश में 16 लाख 63 हजार के करेंसी नोट चलन में थे और इनमें से 86.4 फीसदी राशि 500 और 1000 रुपए के नोटों की थी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह 86.4 फीसदी पैसा काले धन का था जो बाजार में लगा था।’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में अपनी एक रैली में कहा कि उनकी जान को खतरा है। यह चिंता की बात है। प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि उनकी जान को किन लोगों से या किन संगठनों से खतरा है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि आतंकवाद, काला धन, भ्रष्टाचार, नकली मु्रदा के मुद्दे पर पूरा सदन एकजुट है और इसमें कोई दो राय नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अचानक की गई इस घोषणा से देश में आपात स्थिति पैदा हो गई है और लोग बुरी तरह परेशान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल आर्थिक अराजकता पैदा की बल्कि नकदी से चलने वाली अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही तोड़ दी। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था नकदी के लेन देन की है और आम आदमी, छोटे व्यापारी, किसान, गृहणियां अपने साथ क्रेडिट कार्ड और चेकबुक ले कर नहीं चलतीं। ‘जब प्रधानमंत्री ने काले धन की बात कही तब क्या उन्होंने इस बात को ध्यान में रखा था। क्या बाजार में, घरों में, किसानों, मजदूरों, सरकारी कर्मियों के पास काला धन था। क्या खेतों में अनाज उगा कर मंडी ले कर आने वाला किसान अपने साथ काला धन लाता और ले जाता है।’

शर्मा ने कहा कि दुनिया भर में यह संदेश गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में काले धन का बोलबाला है। उन्होंने कहा ‘देश को कृपया कलंकित न करें।’ उन्होंने कहा ‘सरकार को यह कदम उठाने से पहले कोई समय सीमा बतानी चाहिए थी। आप कहते हैं कि पहले बताने से आतंकियों को, जाली नोट वालों को फायदा होता। लेकिन आपका यह तर्क समझ से परे है। पूर्व की सरकारों ने भी नोटबंदी की है लेकिन तब लोगों को समय दिया जाता था।’ शर्मा ने कहा कि नोटों की सीमा तय करने से लाखों विदेशी पर्यटकों को बुरी तरह परेशानी हुई। उनके चेक इनकैश तो हो गए लेकिन उनका पैसा वापस नहीं लौटाया गया। आज स्थिति यह है कि उनके देश और दूतावास अपने नागरिकों को परामर्श दे रहे हैं कि भारत सोच समझ कर जाएं। ‘सरकार के इस कदम से आखिर क्या संदेश गया विदेशों में।’

उन्होंने सरकार पर बिना तैयारी के नोटबंदी करने का आरोप लगाते हुए कहा ‘बैंकों के आगे कतारें और मियाद दोनों बढ़ रही है। हम सबके बैंकों में खाते हैं और हम कर देते हैं। आपको यह अधिकार किस कानून और संविधान ने दिया कि आप हमें हमारे ही खाते से पैसे निकालने से रोकें।’ भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार, काला धन और आतंकवाद पर लगाम कसने के उद्देश्य से 500 रूपये और 1000 रूपये के नोटों को अमान्य करने के मोदी सरकार के फैसले का देश ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन कुछ लोगों का इस बारे में चिंतित होना स्वाभाविक भी है।’ बिजली, कोयला, खान और अक्षय ऊर्जा मंत्री गोयल ने कहा, ‘इस फैसले से देश में ईमानदार का सम्मान हुआ है और बेईमान का नुकसान हुआ है।’ उन्होंने कहा कि इस कदम की वजह से कुछ परेशानी तो होनी ही थी लेकिन इसके बावजूद लोगों ने इस कदम का समर्थन किया है।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो इस कदम से खुश नहीं हैं। यह भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नशीली दवाओं के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और राजनीतिक दलों को इस पर खुश होना चाहिए।’ नोटबंदी के कदम को उचित ठहराते हुए गोयल ने यह भी दावा किया कि उपलब्ध दस्तावेजों और रिपोर्टों के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक ने महसूस किया कि बड़ी मात्रा में रकम या तो वितरित नहीं हो रही है या सरकारी खजाने में नहीं आ रही है। उसने विश्लेषण कर पाया कि यह रकम छिपा कर रखी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार इसके बारे में विशेष आंकड़े नहीं बता सकती लेकिन आरबीआई ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया जिसे मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया। इस कदम को मंजूरी मंत्रिमंडल ने दी। नोटबंदी के फायदे बताते हुए गोयल ने कहा कि दीर्घकाल में ब्याज दरें कम हो जाएंगी, महंगाई घटेगी और करों की दरें नीचें आएंगी। गोयल ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार को उन लोगों के नामों का खुलासा करना चाहिए जिनके स्विस बैंक और अन्य विदेशी बैंकों में खाते हैं। ‘लेकिन अगर ऐसा किया गया तो सरकार के लिए ऐसे खातों के बारे में और जानकारी हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।’