भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने गुरुवार को कहा कि संक्रमित हवा में कोरोना विषाणु का प्रकोप कम करने में खुली हवादार जगह अहम भूमिका निभा सकती है। एक संक्रमित व्यक्ति की लार और नाक से निकलने वालीं बूंदों और वायु अभिकण (ऐरोसौल्स) के रूप में दूसरे व्यक्ति में विषाणु का संचरण करता है। वायु अभिकण हवा में दस मीटर तक बह सकते हैं।

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने अपने परामर्श में कहा है, ‘संक्रमण के संचरण को रोकें, महामारी को परास्त करें, सार्स-सीओवी-2 विषाणु को  फैलने से रोकने के लिए मास्क, दूरी, स्वच्छता और खुली हवादार जगह का इस्तेमाल कीजिए’। परामर्श के मुताबिक लोगों उस समय भी मास्क पहनना चाहिए, जब आपके आसपास के लोगों में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हों। ऐसा इसलिए क्योंकि बिना लक्षण वाला संक्रमित व्यक्ति भी आपको संक्रमित कर सकता है। कुछ लोगों में संक्रमित होने के दो सप्ताह तक भी लक्षण सामने नहीं आते हैं। इसमें कहा गया है कि हवादार जगह होने से सामुदायिक रूप से बचाव हो सकता है और हम घर व दफ्तर दोनों जगह सुरक्षित रह सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि जिस तरह घर के दरवाजे और खिड़कियां खोलने और ‘एक्जॉस्ट’ प्रणाली का उपयोग करने से हवा से गंध कम हो जाती है, उसी तरह हवादार जगह में वायु में विषाणु की संख्या कम हो सकती है और इससे संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है।

परामर्श में कहा गया है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर ऐसे स्थानों पर हवा की निकासी का बंदोबस्त किया जाना चाहिए। महज पंखे चलाने, खुले दरवाजे और खिड़कियां होने से वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। हवा के आने-जाने और ‘एक्जॉस्ट’ पंखों का उपयोग करना भी लाभदायक होगा।

इसमें कहा गया है कि एसी चलाते समय अगर कमरे की खिड़कियां और दरवाजे पूरी तरह से बंद हैं तो कमरे में संक्रमित हवा जमा हो जाती है। ऐसे में एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में एसी चलाते समय खिड़कियों को खुला रखें या ‘एक्जस्ट’ पंखे का उपयोग करें।