BJP On Hindutva: भाजपा ने 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इस महत्वपूर्ण चुनाव की राह में कोई कमी ना रह जाए इस अंदेशे के तहत 18 करोड़ से अधिक सदस्यों वाली भाजपा (BJP) ने पारंपरिक वोट के साथ-साथ अपने आधार का अधिक विस्तार करने के लिए कई अलग-अलग कार्यक्रम शुरू किए हैं।
क्या हैं भाजपा के नए प्रयोग?
भाजपा (BJP) ने सत्ता में आने के ठीक बाद अनुसूचित जातियों (SC) को लुभाने के लिए कई पहलों की घोषणा की और उनकी वफादारी हासिल करने के प्रयास किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने व्यक्तिगत रूप से दलित प्रतीकों के प्रति भाजपा (BJP) की प्रतिबद्धता सामने रखने के लिए अभियान चलाए। दलित (Dalit) नेताओं को भारत के राष्ट्रपति सहित प्रमुख पदों पर नियुक्त किया गया।
इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को बढ़ावा दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) के ओबीसी (OBC) वर्ग से आने और कैबिनेट में ओबीसी नेताओं को शामिल करने से लेकर पिछड़े समुदायों के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने तक पार्टी ने समर्थन को वोटों में बदलने के कई उपाय किए। लोकनीति-सीएसडीएस सर्वेक्षण के अनुसार पार्टी का ओबीसी वोट शेयर 1996 के लोकसभा चुनाव के 33 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 44 प्रतिशत हो गया।
2022 के चुनाव के साथ उत्तर प्रदेश में अपने ओबीसी समर्थन के आधार में मामूली गिरावट का संकेत और बिहार में नए राजनीतिक पुनर्गठन से पिछड़े समुदायों के समर्थन में संभावित कमी का संकेत मिलते ही पार्टी ने अब पिछड़े मुसलमानों को शामिल करते हुए एक नया गठबंधन बनाने के लिए एक नई कवायद शुरू की है।
“केवल हिंदुओं तक सीमित ना रहे पार्टी”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) देश भर में एक मजबूत संगठन का निर्माण कर रहे हैं। उनका इस बात पर विशेष ध्यान दिखाई देता है कि कि भाजपा (BJP) को अपने प्रयासों को केवल हिंदुओं तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। पिछले साल हुई पार्टी महासचिवों के साथ एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पार्टी को सभी समुदायों तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि केरल एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा अभी भी गहरी पैठ नहीं बना पाई है अपने चुनावी कार्यक्रमों में राज्य के एक प्रभावशाली अल्पसंख्यक ईसाइयों को शामिल करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
इस साल हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी के नए लक्ष्य के रूप में मुसलमानों में पिछड़ों का जिक्र किया था। जिसके बाद उत्तर प्रदेश और बिहार में कई कार्यक्रम हुए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पहल और नए सोशल इंजीनियरिंग के प्रयास सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं हैं बल्कि भविष्य में चुनाव कार्य के लिए भाजपा पर भरोसा करने के लिए एक व्यापक और मजबूत संगठन स्थापित करने के लिए भी हैं।