Ayodhya verdict: बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भाग लेने वाले मोहम्मद आमिर उर्फ बलबीर सिंह ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के ‘खैरात’ वाले बयान को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। आमिर ने कहा कि जो ज़मीन मुस्लिमों को दी गई है वह खैरात नहीं मुआवजा है। मोहम्मद आमिर ने बाबरी मस्जिद गिराने के बाद इस्लाम काबुल लिया था और वे बलबीर सिंह से मोहम्मद आमिर बन गए थे।

मोहम्मद आमिर ने असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को जो जमीन उच्चतम न्यायालय ने देने का फैसला किया है, वह खैरात नहीं बल्कि मुआवजा है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि का स्वामित्व हिंदुओं को दे दिया, जिसके बाद वहां राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अदालत ने फैसला सुनाया कि मुसलमानों को वैकल्पिक स्थल पर पांच एकड़ जमीन मिलेगी।

इसपर नाराजगी व्यक्त करते हुए ओवैसी ने कहा कि जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया, उन्हें राम मंदिर बनाने के लिए जमीन सौंपी गई है। उन्होंने कहा, “अगर बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर, 1992 को ध्वस्त नहीं किया जाता, तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होता।” उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक भूमि की पेशकश पर फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि उनका निजी विचार है कि इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।

ओवैसी ने कहा, “हम कानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे थे। हमें खरात में पांच एकड़ भूमि की आवश्यकता नहीं है। मुसलमान गरीब हैं, कमजोर हैं और उनके साथ भेदभाव किया गया है। लेकिन वे अपने दम पर एक मस्जिद का निर्माण कर सकते हैं।” बता दें ओवैसी के बयान पर भड़कने वाले अमीर पूर्व में शिव सेना के एक नेता हुआ करते थे। वो आरएसएस की विचारधारा से प्रेरित थे और अपने शुरुआती दिनों के दौरान पानीपत की ‘शाखा’ में नियमित रूप से जाते थे। आज वे मुहम्मद आमिर के नाम से जाने जाता है, जबकि उसका सहयोगी योगेंद्र पाल का नाम अब मुहम्मद उमर है।