केंद्र सरकार के मुताबिक पूर्वोत्तर के कई राज्यों का ‘आर फैक्टर’ एक से अधिक है जो चिंता की बड़ी वजह है। वहीं, केरल का ‘आर फैक्टर’ भी एक से ज्यादा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 15 जुलाई को ही बढ़ते ‘आर फैक्टर’ को लेकर चेता चुका है। गृह सचिव की ओर से सभी राज्यों को लिखे गए पत्र में कहा गया था कि ‘आर फैक्टर’ का एक से अधिक होना कोरोना विषाणु संक्रमण के मामलों के बढ़ने का संकेत है। इसलिए जरूरी है कि सभी राज्यों में कोरोना से बचाव के उपायों का सख्ती से पलन होना चाहिए।
केंद्र सरकार के मुताबिक मणिपुर का ‘आर फैक्टर’ 1.07, त्रिपुरा का 1.15, अरुणाचल प्रदेश का 1.14, मेघालय का 0.92, मिजोरम का 0.86, सिक्किम का 0.88 और असम का ‘आर फैक्टर’ 0.86 का है। वहीं, केरल का ‘आर फैक्टर’ 1.10 है। देश में 9 मार्च और 21 अप्रैल के बीच ‘आर फैक्टर’ 1.37 था। इसी कारण इस अवधि में मामले तेजी से बढ़ रहे थे और दूसरी लहर अपने सर्वोच्च आंकड़े की ओर बढ़ रही थी। 29 अप्रैल से सात मई के बीच 1.10 रह गया। उसके बाद से ‘आर फैक्टर’ में लगातार कमी होती गई। परिणाम यह रहा कि कोरोना संक्रमण के मामले भी घटते चले गए। 9 मई के बाद ‘आर फैक्टर’ में गिरावट आई है। 15 मई से 26 जून के बीच ‘आर फैक्टर’ घटकर 0.78 रह गया लेकिन 20 जून के बाद यह बढ़कर 0.88 हो गई। जब तक ‘आर फैक्टर’ एक से अधिक नहीं होगा तब तक संक्रमण के मामले तेजी से नहीं बढ़ेंगे लेकिन यह चिंता का विषय है।
महाराष्ट्र में 17 जुलाई को कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या घटकर 1.04 लाख रह गई लेकिन चिंता की बात यह है कि मई 30 को राज्य का ‘आर फैक्टर’ 0.84 था, जो जून के अंत में 0.89 हो गया था। इस दौरान महाराष्ट्र में संक्रमण के मामले तेज गति से बढ़े। केरल 1.12 लाख से ज्यादा उपचाराधीन मामले हैं। इस महीने की शुरुआत में यहां ‘आर फैक्टर’ 1.10 हो गया था। यही कारण है कि केरल में स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या में संक्रमण के नए मामले अधिक आ रहे हैं। महाराष्ट्र और केरल से इस समय देश के 50 फीसद से अभी अधिक उपचाराधीन मामले हैं।
क्या है आर फैक्टर : वैज्ञानिकों के मुताबिक ‘आर फैक्टर’ यानी पुनरुत्पादक दर। इससे पता चलता है कि एक संक्रमित व्यक्ति से कितने लोग संक्रमित हो रहे हैं या हो सकते हैं। अगर ‘आर फैक्टर’ एक से ज्यादा है तो इसका अर्थ है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं, ‘आर फैक्टर’ का एक से कम होना या कम होते चले जाना मामलों के घटने का संकेत होता है। उदाहरण के लिए अगर 100 व्यक्ति संक्रमित हैं और वह 100 लोगों को संक्रमित करते हैं तो ‘आर फैक्टर’ एक होगा। लेकिन अगर 100 संक्रमित व्यक्ति, 80 लोगों को संक्रमित कर पा रहे हैं तो ‘आर फैक्टर’0.80 होगा।