Delhi Pollution: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में खराब आबोहवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस बीच कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म प्रदूषण को बढ़ावा नहीं देता है। कोर्ट ने कहा कि अगर पटाखे फोड़े जाते हैं, तो इससे लोगों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर भी असर पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को एक बार फिर से फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर लगाया गया बैन महज दिखावा है। प्रतिबंध को गंभीरता से लागू नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से 25 नवंबर तक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने अधिकारियों से सवाल करते हुए कहा कि पटाखे बनाने, बिक्री और फोड़ने पर बैन केवल अक्टूबर से जनवरी के बीच ही क्यों लागू होता है, पूरे साल के लिए क्यों नहीं। अदालत ने कहा, ‘केवल कुछ महीनों के लिए ही क्यों? वायु प्रदूषण पूरे साल बढ़ता रहता है।’

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दिल्ली पुलिस कमिश्नर से मांगा हलफनामा

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर हलफनामा दायर करके यह बताएं कि पटाखों पर बैन के लिए क्या-क्या किया गया। दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पटाखों पर बैन लगाने के लिए स्पेशल सेल बनाने का निर्देश भी दिया है। साथ ही, सभी एनसीआर के राज्यों को निर्देश दिया कि प्रदूषण को कम करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में कोर्ट को जानकारी दें।

दिल्ली-NCR को प्रदूषण से राहत नहीं

दिल्ली सरकार के वकील ने क्या कहा

दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट में वह आदेश दिखाया जहां पटाखों पर बैन लगाया गया था। जस्टिस ओका ने कहा तो आपका हलफनामा कहता है कि केवल दिवाली के मौके पर आप पटाखों पर बैन लगाएंगे। शादी और चुनावों के टाइम आप प्रतिबंध नहीं लगाएंगे। इसके बाद दिल्ली सरकार के वकील ने दलील देते हुए कहा कि तमाम हितधारकों के साथ परामर्श के बाद स्थायी बैन के आपके निर्देशों पर विचार किया जाएगा।

बता दें कि दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर का तमगा मिला। उसके बाद से राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।