प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 89 सचिवों में एक भी नौकरशाह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का नहीं है। हालांकि, इनमें अन्य आरक्षित श्रेणियों का प्रतिनिधित्व है, पर वह न के बराबर ही है। इन 89 में अनुसूचित जाति से केवल एक, जबकि अनुसूचित जनजाति से महज तीन नौकशाह हैं। यह जानकारी हाल ही में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी थी।
कैसे सामने आए आंकड़े?: दरअसल, 10 जुलाई, 2019 को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद दिव्येंदु अधिकारी ने इस बारे में सरकार से सवाल किया था। उन्होंने पूछा कि क्या यह सही है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में ऊपरी स्तर पर एससी/एसटी/ओबीसी का प्रतिनित्व बेहद कम है? टीएमसी सांसद ने इसी से जुड़े दो और प्रश्न किए थे, जिसके लिखित जवाब में सिंह ने नौकरशाहों की संख्या का ब्यौरा देते हुए कुछ आंकड़े जारी किए।
नौकरशाहों की इस लिस्ट में हैं IAS का ‘दबदबा’: केंद्र सरकार के इन्हीं आंकड़ों के मुताबिक, नौकरशाहों की इस लिस्ट में अधिकतर सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी कि आईएएस से नाता रखते हैं, जबकि एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों का रिप्रेजेंटेशन अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव और निदेशक लेवल पर भी कम ही पाया गया। देखें, विस्तृत आंकड़ेः

और क्या कहता है डेटा, जानिएः इन आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों में तैनात कुल 93 एडिश्नल सेक्रेट्री में छह एसटी, पांच एसटी और ओबीसी से एक भी नहीं हैं। वहीं, 275 ज्वॉइंट सेक्रेट्री में 13 एससी, नौ एसटी, और 19 ओबीसी हैं। डायरेक्टर पद पर बात करें तो इसमें कुल 288 में महज 31 एससी, 12 एसटी और 40 ओबीसी हैं। डिप्टी सेक्रेट्री पद पर निगाह डालें तो कुल 79 में सात एससी, तीन एसटी और 21 ओबीसी हैं, जबकि अंडर सेक्रेट्री के दो पदों में एक भी एससी, एसटी और ओबीसी से नहीं है।
‘SC/ST को नहीं पहुंचने दिया जाता है ऊपर’: उधर, बीजेपी के पूर्व सांसद और भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी रह चुके उदित राज (खुद एससी) ने आरोप लगाया कि आरक्षित श्रेणियों से आने वालों को उच्च पदों पर पहुंचने नहीं दिया जाता। ‘द प्रिंट’ से बातचीत के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि एससी और एसटी से आने वालों को हमेशा निशाना बनाया जाता है और उन्हें कभी भी ऊंचे पदों पर नहीं पहुंचने दिया जाता।
पूर्व BJP सांसद ने भी साझा किया निजी दर्दः बकौल राज, “पूर्व आईआरएस अधिकारी होने के नाते, जो कि दलित हो…मैं इस बारे में अनुभव से बात कर सकता हूं। इन जातियों से नाता रखने वालों के खिलाफ शिकायतें दी जाती हैं और उनकी गोपनीय रिपोर्ट्स भी उनके वरिष्ठों और बॉस द्वारा खराब कर दी जाती हैं।” बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उदित राज ने भगवा पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
पैनल में नहीं होंगे एससी/एसटी तो कहां से…- पूर्व IAS: वहीं, एक पूर्व आईएएस ने अंग्रेजी वेबसाइट को बताया कि सेक्रेट्री, एडिश्नल सेक्रेट्री और ज्वॉइंट सेक्रेट्री स्तर के अधिकारियों का चयन वह पूल (पैनल) करता है, जिसका गठन संबंधित पद की भर्ती के लिए किया जाता है। अगर उस पूल में एससी/एसटी/ओबीसी से नाता रखने वाले पर्याप्त अधिकारी नहीं होते हैं, तो स्वाभाविक है कि चयनित अधिकारियों में आरक्षित वर्गों का प्रतिनिधित्व भी कम ही होगा।

