Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा दायर याचिका पर 28 जुलाई को सुनवाई करेगा। जिसमें उन्होंने तीन न्यायाधीशों की आंतरिक जांच समिति के निष्कर्षों और भारत के पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश को चुनौती दी है।
जस्टिस वर्मा ने आरोप लगाया है कि समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट पूरी करने से पहले उन्हें आरोपों का जवाब देने का ‘उचित अवसर’नहीं दिया गया।
यह विवाद 14 मार्च की एक घटना से उपजा है, जब दिल्ली स्थित उनके आवास पर आग लग गई थी। उस वक्त वो दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। कथित तौर पर अग्निशमन कर्मियों को घटनास्थल पर भारी मात्रा में नकदी मिली थी। हालांकि, घटना के वक्त वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे।
इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को पुष्टि की कि राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के बाद, लोकसभा जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए द्विदलीय प्रस्ताव पर विचार करेगी। रिजिजू ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष दोनों के 152 सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं और यह मामला न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार आगे बढ़ेगा।
रिजिजू ने कथित न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता पर जोर देते हुए कहा कि यह सभी दलों का सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय है। यह प्रस्ताव पहले लोकसभा में लाया जाएगा और फिर राज्यसभा में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें किसी भी संदेह में नहीं रहना चाहिए, लोकसभा में कार्यवाही शुरू होगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में पायलट से कहा कि माफ करो, और आगे बढ़ो। पढ़ें…पूरी खबर।