बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि वह प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में नहीं है। वह केवल गैर भाजपा पार्टियों को एकजुट करने के स्रोत बनने का काम कर रहे हैं। उन्होंने जदयू अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। वे भी देशभक्त हैं उन्हें संघ और भाजपा से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। नीतीश कुमार ने कहा,’हमने बिहार में जिस तरह से सफलतापूर्वक गठबंधन किया है वैसा ही प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर करना चाहते हैं। मैंने हाल ही में संघमुक्त भारत की बात की। मैं प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का दावा नहीं कर रहा हूं। ना ही मैं नेतृत्व करने का दावा कर रहा हूं। लोगों को एकजुट करना गुनाह है क्या।’
भाजपा पर निशाना साधते हुए नीतीश ने कहा,’बीजेपी को भ्रम हो गया है, हमारा प्रयास जारी रहेगा। मर्जर हो, अलायंस हो, अंडरस्टैंडिंग हो। अधिक से अधिक लोगों को एकजुटता की संभावना देख रहे हैं। हमारा इसमें स्वार्थ नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा,’प्लीज डिबेट को दबाइए मत। यदि कोई कहता है कि वह पीएम पद का उम्मीदवार है तो वह सात जन्म में भी नहीं बन सकता है। लेकिन किसी का पीएम बनना तय है तो वह बनकर रहेगा।’ देशभक्ति के मुद्दे पर नीतीश ने कहा,’हम सभी देशभक्त हैं। लेकिन हमें आरएसएस और भाजपा से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। वे शुरू से ही भावुक मुद्दे उठा रहे हैं जैसे गौमांस, लव जेहाद, घर वापसी।’
नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार पर योजनाओं का नाम बदलने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा,’ उन्होंने राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का नाम दीनदयाल उपाध्याय कर दिया लेकिन केंद्र-राज्य का हिस्सा 90:10 से घटाकर 60:40 कर दिया। केंद्र राज्यों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहा है। ग्रामीण सड़क योजना और मनरेगा की अनदेखी की जा रही है।’
