ललन सिंह ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे को लेकर कयास पिछले कुछ हफ्तों से लगाए जा रहे थे। कहा जा रहा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ललन सिंह की राजद के अध्यक्ष लालू यादव से बढ़ती नजदीकियों की वजह से नाराज थे। इसी वजह से उन्होंने ललन सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए ‘बाध्य’ किया गया।

इससे पहले भी नीतीश कुमार कई बार अपने हिसाब से जदयू में बदलाव कर यह साबित कर चुके हैं कि पार्टी पर उनका पूरा कंट्रोल है। मई 2014 में जीतन राम मांझी को सीएम बनाना और फिर फरवरी 2015 में उन्हें ‘ठिकाने’ लगाना, इसका एक परफेक्ट उदाहरण है। इसके अलावा 2015 में जिन प्रशांत किशोर को जदयू और राजद की जीत का श्रेय दिया जाता था, उन्हें 2020 में पार्टी से बाहर निकालकर भी नीतीश कुमार ने जदयू के भीतर अपनी ताकत का अहसास करवाया था।

हालांकि अब सवाल यह उठ रहा है कि जदयू के भीतर भले ही नीतीश कुमार सबसे शक्तिशाली हों लेकिन क्या जमीन पर भी उनका कद वाकई इतना बढ़ा है। आइए नजर डालते बिहार में हुए पिछले कुछ लोकसभा और विधानसभा चुनावों के आकड़ों पर:

पार्टी 2005 चुनाव2010 चुनाव2015 चुनाव2020 चुनाव
JDU Seats881157143
JDU Vote Share20.46%22.58%16.40%19.46%
BJP Seats55915374
BJP Vote Share15.65%16.49%24.40%15.39%
RJD Seats54228075
RJD Vote Share23.45%18.84%18.40%23.11%

2005 में सबसे बड़ी पार्टी बनी जदयू

नीतीश कुमार नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद दूसरी बार बिहार के सीएम बने। उन्होंने यह चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव में जदयू को राज्य में सबसे ज्यादा 88 सीटें मिलीं थीं। बीजेपी 55 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। राजद 54 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही। इस चुनाव में जदयू को 20.46% वोट मिला। बीजेपी 15.65% वोट हासिल करने में सफल रही। तीसरे नंबर पर रही राजद को 23.45% सीटें हासिल हुईं।

2010 में बढ़ा नीतीश का कद

नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने साल 2010 के चुनाव में 115 सीटें जीतीं। गठबंधन में उनकी साथी बीजेपी को 91 सीटें हासिल हुईं। लालू यादव की पार्टी को 22 विधानसभा सीटों से संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में जदयू को 22.58%, बीजेपी को 16.49% और राजद को 18.84% वोट हासिल हुआ।

2015 के विधानसभा चुनाव में घटीं 44 सीटें

साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में नीतीश कुमार की 44 सीटें कम हो गईं। उनकी पार्टी को 71 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि लालू यादव की पार्टी 58 सीटें ज्यादा जीती यानी उनकी पार्टी को 80 सीटों पर जीत हासिल हुई। बीजेपी को पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में 38 सीटों का नुकसान हुआ। बीजेपी 53 सीटें ही जीत सकी। इस चुनाव में बीजेपी को 7.94% वोट ज्यादा हासिल हुआ और उसका वोट शेयर 24.4% रहा। राजद को 18.4% और जदयू को 16.4% वोट हासिल हुआ।

2020 में नीतीश की पार्टी को मिलीं सिर्फ 43 सीटें

2020 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े। बीजेपी को इस चुनाव में 74 सीटों पर जीत मिली। जदयू को सिर्फ 43 सीटें हासिल हुईं जबकि राजद 75 सीटों के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इस चुनाव में राजद को 23.11% वोट मिला, बीजेपी और जदयू क्रमश: 19.46% और 15.39% वोट हासिल कर पाए।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ ही किया कमाल

बात अगर लोकसभा चुनाव की करें तो 2009 में नीतीश के नेतृत्व में एनडीए ने बिहार में कमाल प्रदर्शन किया था। 2009 में एनडीए ने देश के अन्य राज्यों में खास प्रदर्शन न किया हो लेकिन बिहार में जदयू को 20 और बीजेपी को 12 सीटें हासिल हुई थीं। यहां राजद सिर्फ 4 सीटों पर जीत हासिल कर सकी।

Party2009 LS2014 LS2019 LS
JDU Seats20416
BJP Seats122217
RJD Seats440

इसके बाद मोदी युग के आगमन के साथ बिहार में नीतीश का जादू कम ही दिखाई दिया। नीतीश 2014 में अकेले चुनाव लड़े और सिर्फ 4 सीटें जीत सके जबकि बीजेपी ने 22 सीटें जीतीं। राजद 4 सीटें हासिल करने में सफल रही। इसके बाद नीतीश ने 2015 का बिहार चुनाव राजद के साथ मिलकर लड़ा।

2019 से पहले नीतीश बीजेपी के साथ आ चुके थे। उन्हें लोकसभा में 16 सीटों पर जीत हासिल हुई। बीजेपी 17 सीटें जीतने में सफल रही जबकि राजद खाता भी न खोल सकी। 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया औऱ उनकी पार्टी सिर्फ 43 सीटें हासिल कर पाई।