केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 लड़ेगा। हालांकि चिराग पासवान ने कई मुद्दों पर भी बात की, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि कैसे बिहार के निवासियों ने प्रवास के बाद सरकारी नौकरियों से लेकर निजी क्षेत्र तक कई क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है।

चिराग पासवान ने कही बड़ी बात

चिराग पासवान ने कहा, “बिहारी इतना आगे है तो बिहार इतना पीछे क्यों? हमें इस सवाल का जवाब खोजने की जरूरत है।” समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत के दौरान चिराग पासवान ने बिहार सरकार से राज्य में अपराध और पुल ढहने के मामलों के खिलाफ कार्रवाई करके एक मिसाल कायम करने को कहा। चिराग पासवान ने कहा कि हाल के महीनों में बिहार में 15 पुलों का ढहना एक गंभीर मुद्दा है।

चिराग पासवान ने कहा, “यह निश्चित रूप से दर्शाता है कि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार हुआ है। समझौते किये गये। मैं इस राजनीति में नहीं पड़ना चाहता कि तब सरकार में कौन था। अब हम सरकार में हैं। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि ये घटनाएं दोबारा न हो। जो भी जिम्मेदार है उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और दंडित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य के लिए एक मिसाल कायम हो।”

राहुल गांधी पर बोले चिराग पासवान

इससे पहले बड़ा खुलासा करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि महीनों की कोशिश के बावजूद राहुल गांधी ने 2014 के चुनावों से ठीक पहले राम विलास पासवान से मुलाकात करने से इनकार कर दिया था। चिराग पासवान ने कहा कि ये कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को छोड़ने और भाजपा के साथ गठबंधन करने का एक प्रमुख कारण था। राहुल गांधी के बारे में बात करते हुए चिराग पासवान ने पीटीआई से कहा कि उन्होंने हाल ही में अपनी जिम्मेदारी को ‘कुछ अधिक गंभीरता से’ लेना शुरू कर दिया है। हालांकि चिराग ने कहा कि संसद में राहुल गांधी का भाषण अशोभनीय था।

चिराग पासवान ने याद करते हुए कहा, “मैं और मेरे पिता रामविलास यूपीए गठबंधन में अपनी पार्टी के भविष्य पर चर्चा करने के लिए अक्सर सोनिया गांधी से मिलते थे। सोनिया गांधी ने मेरे पिता को अपने बेटे राहुल गांधी से मिलने का सुझाव दिया। मेरे पिता ने मिलने का समय मांगा और तीन महीने से अधिक समय तक इंतजार किया, लेकिन राहुल गांधी नहीं माने। उस समय हम यूपीए छोड़कर एनडीए में शामिल होने के इच्छुक थे।”