केन्द्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी ने खुद को ‘पक्का आरएसएस वाला’ बताते हुए शुक्रवार को कहा कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं और उनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। गडकरी ने कहा कि आगामी चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा और देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास की राह में आगे बढ़ेगा जबकि ‘हम उनके पीछे खड़े हैं।’ इंडिया टुडे कॉन्कलेव के दौरान जब गडकरी से सवाल किया गया कि क्या प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा के आम सहमति के उम्मीदवार होंगे? इस पर नितिन गडकरी ने कहा कि यह ‘मुंगेरी लाल के हसीन सपने’ जैसा है।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘मेरा इससे कोई नाता नहीं है। मैं दौड़ में नहीं हूं।’ गडकरी ने कहा, ‘मोदी जी प्रधानमंत्री हैं और फिर प्रधानमंत्री बनेंगे। मैं आरएसएस वाला हूं। हमारा मिशन राष्ट्र के लिए काम करना है। विकास और वृद्धि के मामले में देश मोदी जी के नेतृत्व में विकास कर रहा है। हम उनके पीछे खड़े हैं। मेरे प्रधानमंत्री बनने का सवाल कहां होता है?’ उन्होंने कहा, ‘मैं जोड़-घटाव करने वाला नेता नहीं हूं।’ केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटेगी। पिछले चुनाव के साढ़े तीन लाख वोटों के मुकाबले इस बार उन्हें पांच लाख वोट मिलने जा रहे है। गडकरी ने कहा कि ‘उन्हें जो लगता है, वह कह देते हैं। न तो मैं सपने देखता हूं, ना ही मेरा कोई पीआर (प्रचार) है।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी एक खराब आदत है…मैं दस लाख मुसलमानों के सामने कहता हूं कि मैं पक्का आरएसएस वाला आदमी हूं। अगर आप चाहते हैं तो मुझे वोट दे, वरना अफसोस नहीं करें। मेरे पास यह कहने का माद्दा है। मैं एक अच्छा भाजपा कार्यकर्ता हूं। देश मेरे लिए सर्वोपरि है। मैं उसके लिए काम करता हूं। यह खुश, खुशहाल, मजबूत और दुनिया की आर्थिक शक्ति बने।’
गडकरी ने कहा कि ‘ग्रामीणों, किसानों का कल्याण और सामाजिक-आर्थिक रुपांतरण उनका मिशन है और मोदी जी के नेतृत्व में हमारी विचारधारा के अनुसार बहुत काम किया जा चुका और भविष्य में किया जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस काम में एक समर्थक के रूप में आया हूं और देश के लिए जो भी काम सौंपा जाएगा, मैं करूंगा।’
गडकरी से जब पूछा गया कि क्यों वह विपक्षी नेताओं के बीच लोकप्रिय हैं तो उन्होंने कहा कि वह कड़ी मशक्कत करने में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा, ‘जो भी मेरे पास आता है, मेरी सोच सकारात्मक रहती है। मैं अपने अधिकारियों को कहता हूं कि वह मेरे पास आए हैं इसका मतलब है कि उनकी कुछ समस्याएं हैं। इसलिए सकारात्मक रुख अपनाएं और हल करें। उनसे अच्छे ढंग से मिलें। अगर (काम करना) संभव नहीं है तो उन्हें दिक्कतें बताएं कि इसे क्यों नहीं किया जा सकता। मैं राजनीतिक जोड़-घटाव से बर्ताव नहीं करता। यह मेरा स्वभाविक व्यवहार है और इसीलिए विरोधी भी मेरे मित्र बन जाते हैं।’
