केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर सजग है। उन्होंने कहा कि देश में सड़कों की गुणवत्ता में सुधार के बाद सड़क दुर्घटनाएं बढ़ने के संबंध में सड़क सुरक्षा ऑडिट कराके उपाय निकाले जाएंगे।

गडकरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि सड़क गुणवत्ता में सुधार के बाद तेज रफ्तार वाहनों से दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं और इस संबंध में सड़क सुरक्षा का आडिट किया जा रहा है। उन्होंने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही। गडकरी ने राजमार्गों पर जानवरों के आने से होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर भी राज्य सरकारों को सलाह देने की बात कही।

उन्होंने कहा कि देश के अनेक राज्यों में अच्छे राजमार्ग बने हैं जिन पर रात को किसान अपने जानवरों को छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि जानवर रास्ते के बीच में आ जाते हैं जिसके कारण दुर्घटनाएं होती हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजमार्गों पर इस तरह से जानवरों को आने से रोकने के लिए राज्य सरकारों को कोई कानून बनाकर इस दिशा में कदम उठाने को कहा जाएगा।

झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र में कुछ फ्लाईओवर के निर्माण में देरी के संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्न के उत्तर में गडकरी ने कहा कि उन्हें पता चला है कि निर्माण के लिए निविदा निकालने में काफी देरी हुई है जिससे निर्माण कार्य भी विलंबित हुआ है। उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच कराई जाएगी कि इस देरी के लिए राज्य का लोक निर्माण विभाग जिम्मेदार है या उनके मंत्रालय की ओर से यह देरी हुई है।

गांव-गरीब-किसानों की खुशहाली प्रधानमंत्री की प्राथमिकता : तोमर

नई दिल्‍ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एक बार फिर कृषि क्षेत्र में एतिहासिक अवसर है जब प्रधानमंत्री के कर-कमलों से इतनी सौगातें मिल रही है। उन्होंने कहा कि देश इस बात का साक्षी है कि जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यभार संभाला है तब से गांव के गरीब-किसानों की प्रगति हुई है। नवाचार और तकनीक के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ें और इससे कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से सीकर में आयोजित कार्यक्रम में मोदी ने 1.25 लाख पीएम किसान समृद्धि केंद्र (पीएम-केएसके) राष्ट्र को समर्पित किए और साथ ही सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) का लोकार्पण किया। किसान कितना भी परिश्रम कर लें और सरकार की नीतियां अनुकूल होने के बावजूद उन्हें प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है। जब प्रकृति का प्रकोप आता है तो फसलों को नुकसान होता ही है।