पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की निंदा की है। ममता बनर्जी ने कहा कि आयोग ने ‘‘अदालत का अपमान’’ करने और बीजेपी का ‘‘राजनीतिक बदला लेने’’ के लिए राज्य में चुनाव के बाद कथित हिंसा संबंधी अपनी रिपोर्ट मीडिया में लीक की। सीएम ने राज्य सरकार के विचार जाने बिना आयोग द्वारा निष्कर्ष पर पहुंचने को लेकर हैरानी जताई।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘बीजेपी अब हमारे राज्य की छवि खराब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है। एनएचआरसी को अदालत का सम्मान करना चाहिए था। मीडिया में रिपोर्ट के निष्कर्ष लीक करने के बजाय, उसे पहले इसे अदालत में दाखिल करना चाहिए था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप इसे बीजेपी के राजनीतिक बदले के अलावा और क्या कहेंगे? वह (विधानसभा चुनाव में) अब भी हार पचा नहीं पाई है और इसीलिए पार्टी इस तरह के हथकंडे अपना रही है।’’
बता दें कि राज्य में चुनाव के बाद हिंसा की कथित घटनाओं की जांच कर रहे आयोग की एक समिति ने कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पश्चिम बंगाल की स्थिति ‘‘कानून के शासन के बजाय शासक के कानून को दर्शाती’’ है और उसने ‘‘हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों’’ की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी।
हाई कोर्ट की पांच जजों की बैंच के निर्देश पर एनएचआरसी अध्यक्ष द्वारा गठित समिति ने यह भी कहा कि इन मामलों में मुकदमे राज्य से बाहर चलने चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसक घटनाओं का विश्लेषण पीड़ितों की पीड़ा के प्रति राज्य सरकार की भयावह निष्ठुरता को दर्शाता है।
अदालत को 13 जून को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने सिफारिश की है कि हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए और इन मामलों में मुकदमा राज्य से बाहर चलना चाहिए।’’
हाई कोर्ट में दायर कई जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में लोगों पर हमले किए गए जिसकी वजह से उन्हें अपने घर छोड़ने पड़े और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया।
एनएचआरसी की समिति ने अपनी बेहद तल्ख टिप्पणी में कहा, ‘‘सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा यह हिंसा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों को सबक सिखाने के लिए की गई।