Parliament Building Inauguration: नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बाद पीएम मोदी ने 75 रुपये का सिक्का जारी किया। इसके बाद पीएम मोदी ने रविवार को पहली बार नई संसद में अपना भाषण दिया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें इतिहास में अमिट छाप छोड़ जाती हैं। आज का दिन और आज की तारीख यानी 28 मई, 2023 ऐसा ही अवसर लेकर आया है।
यह एक भवन नहीं, देशवासियों के सपनों का प्रतिबिंब है: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश आजादी के 75 साल होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्व धर्म प्रार्थना हुई। मोदी ने कहा कि यह सिर्फ एक भवन नहीं है। बल्कि यह देश के 140 करोड़ देशवासियों के सपनों का प्रतिबिंब है। यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। यह नया संसद भवन योजना को यथार्थ से, नीती को निर्माण से, इच्छाशक्ति को कियाशक्ति से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा।
‘आज पूरा विश्व भारत को सम्मान के साथ देखता है’
मोदी ने कहा कि नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है। आज एक बार फिर से पूरा विश्व को भारत और उसकी दृढ़ता को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है। उन्होंने कहा कि जब भारत आगे बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का यह नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का आह्वान करेगा। यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने का साधन बनेगा। यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धी होते हुए देखेगा। नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है। नया जोश है, नई उमंग है, दिशा नई है, दृष्टि नई है।
सेंगोल सत्ता हस्तातंरण का प्रतीक बना था: PM MODI
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ देर पहले संसद की इस नई इमारत में पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है। मोदी ने कहा कि महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था। राजा जी और अधिनम के संतों के मार्ग दर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तातंरण का प्रतीक बना था। मोदी ने कहा कि तमिलनाडु से विशेष तौर पर अधिनम के संत भवन में हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुए थे।मोदी ने कहा कि पिछले दिनों मीडिया में इससे जुड़ी कई जानकारी उजागर हुईं, लेकिन हम उसके विस्तार में नहीं जाना जाते। मोदी ने कहा कि जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी। यह सेंगोल हमें प्रेरण देता रहेगा। भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए एक व्यवस्था नहीं है,बल्कि एक विचार और संस्कार है।
‘नए संसद भवन को देख हर भारतीय गौरव से भरा है’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इसमें वास्तु, विरासत, कला, कौशल, संस्कृति और संविधान भी है। लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है, राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। संसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है।
‘भारत राष्ट्र ही नहीं, लोकतंत्र की जननी है’
भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है, हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है। इस प्रेरणा, इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि हमारी ये संसद ही है।
‘गुलामी के बाद भारत ने नई यात्रा शुरू की’
गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी। वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। आजादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए, विकास को नए आयाम गढ़ने का अमृतकाल है। उन्होंने कहा कि आजादी का ये अमृतकाल- देश को नई दिशा देने का अमृतकाल है। आजादी का ये अमृतकाल- अनंत सपनों को, असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है।
पीएम मोदी ने बताया नए संसद भवन को बनाना क्यों जरूरी था
पीएम मोदी ने कहा कि संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो रहा था, ये हम सभी जानते हैं। वहां, तकनीकी समस्या, बैठने से जुड़ी चुनौतियां थीं, इसलिए नए संसद भवन की आवश्यकता की बात हो रही थी। आने वाले समय में सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो वो कहां बैठते इसलिए यह समय की मांग थी कि नए संसद भवन का निर्माण किया जाए। यह इमारत आधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह लैस है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से 25 साल बाद, भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा। हमारे पास भी 25 वर्ष का अमृत कालखंड है। इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है।