New Parliament Building Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (28 मई) को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नए संसद भवन का उद्घाटन किया, लेकिन उससे पहले कई सांसदों ने पुरानी संसद से जुड़ी अपनी पुरानी यादों को साझा किया। पुराने संसद भवन की अपनी सबसे प्यारी यादों में से एक को याद करते हुए 92 साल के सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने एक वाक्या साझा किया है।
शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, ‘जब (कांग्रेस नेता) राहुल गांधी अंदर आए तो मैं एक टॉयलेट में वुज़ू (नमाज से पहले स्नान) कर रहा था। मनमोहन सिंह तब प्रधानमंत्री थे। राहुल गांधी ने मुझसे पूछा कि क्या बिल्डिंग में नमाज के लिए कोई निर्धारित जगह है। जब मैंने उन्हें बताया कि संसद में नमाज के लिए कोई निर्धारित जगह नहीं है और आमतौर पर जहां भी मुझे गैलरी में जगह मिलती है मैं वहां नमाज पढ़ता हूं। मेरी इस बात को सुनकर वो हैरान रह गए। इस दौरान मैंने उनसे मदद मांगी ताकि सांसदों और अन्य लोगों को इमारत के अंदर नमाज अदा करने के लिए अलग से जगह मिल सके।
मैं 1996 में पहली बार संसद पहुंचा: शफीकुर्रहमान बर्क
उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद ने कहा, “हालांकि पुराना संसद भवन आजादी से पहले बना था, लेकिन यह अब भी बहुत खूबसूरत है।” उन्होंने याद करते हुए बताया कि सांसद बनने से पहले मैं उत्तर प्रदेश के विधायक के रूप में कई बार संसद आया में था, लेकिन देश की संसद में बतौर सांसद (1996 में) पहली बार प्रवेश करने का अहसास ही अलग था। मैं उस पल या उस दिन को कभी नहीं भूल सकता।
नई संसद भवन को लेकर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि नई संसद बनाने की कोई आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि पुराने वाले के पास सभी सुविधाएं हैं। हमें उसी का उपयोग करना चाहिए था। हमारी अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है। ऐसे में वह पैसा समाज के गरीब और वंचित वर्गों की मदद पर खर्च किया जा सकता था।’
सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा उन्होंने संसद को तो बना दिया, मगर मुल्क के हालात को नहीं देखा। लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है, देश की हालत बहुत ज्यादा खराब है। इन हालातों में पार्लियामेंट बनाना मुनासिब नहीं था। हमारे पास इतिहास मौजूद है। संविधान मौजूद है। यह भी हमारे देश के लोगों ने बनाया है। जिस के चेयरमैन डॉक्टर अंबेडकर थे।
सपा सांसद ने कहा कि हम चाहते हैं हमारा देश आगे बढ़े नफरत खत्म हो। प्यार और मोहब्बत की फिजा कायम हो, सब अपने धर्म के हिसाब से काम करते हैं यह सियासी मसला है।