चुनाव हो या नहीं, पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का चर्चा अक्सर होती है। वजह- सिर्फ और सिर्फ उनका काम है। शायद यही वजह है कि जब सियासी समर नजदीक आता है, वह ज्यादातर सियासी दलों की प्रॉयरिटी लिस्ट में ऊपर आ जाते हैं। हर कोई चाहता है कि वह उनके लिए चुनाव में बिसात बिछाएं और जीत हासिल कराएं।
ऐसे में यह जानना लाजिमी हो जाता है कि आखिरकार पीके किस फंडे और सिद्धांत पर चलते हैं और उनके काम का तरीका क्या है? इस बारे में उन्होंने कुछ वक्त पहले एक टीवी इंटरव्यू में बताया था। हिंदी न्यूज चैनल “एनडीटीवी इंडिया” के पत्रकार मनोरंजन भारती से अप्रैल, 2021 में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था, “योजना बनाने वाले व्यक्ति, सियासी सहायक या फिर प्रबंधक…आप जिस नाम से मुझे संबोधित करना चाहते हैं, यह मेरा अपना तरीका है कि जो मेरा प्रतिद्वंदी है या जिससे मेरा कंप्टीशन है, उसे मैं कम कर के नहीं आंकता हूं।”
बकौल पीके, “अगर मेरी टीम, मेरे लोग या मेरा आकलन यह बता रहा है कि बीजेपी की या फिर नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 40 फीसदी है, तब मैं उसे अपने मॉडल में उसे 50 मानता हूं। अपनी टीम को कहता हूं कि मोदी अगर रैली करेंगे, तो यह 40 का आंकड़ा बढ़कर 50 हो जाएगा। हम उस स्थिति में कैसे जीतेंगे…उसके लिहाज से तैयारी करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा- मुझे लगता है कि आप नीति की बात कह लीजिए या प्रोफेश्नल प्रैक्टिस की बात कर लें, पर ये सारी चीजें आपको बताती हैं कि आपको अपने प्रतिद्वंदी को कमतर नहीं आंकना चाहिए।
आगे यह पूछे जाने पर कि बहुत सारे लोगों ने कहा कि पीके के दिल में नरेंद्र मोदी रहते हैं। वह अगर बुलाएंगे, तो आप उनके पास चले जाएंगे? इस पर किशोर ने कहा- किसके दिल में कौन रहता है…मैं कोई हनुमान तो हूं नहीं कि सीना फाड़कर दिखा दूं। आपको लोगों को उनके काम से मापना होगा, न कि उनके शब्दों से। बड़ी पुरानी कहावत है कि जब आप शंका में हों, तब लोगों को उनके काम या गतिविधियों से आंकें, न कि बयानों से। मुंह से तो मैं कुछ भी कह सकता हूं।
हालांकि, बातचीत के दौरान पीके ने यह भी साफ किया कि आईपैक उनकी कंपनी नहीं है। बकौल चुनावी रणनीतिकार, “बिल्कुल नहीं कंपनी चलाते हैं। ऐसा लोगों का भ्रम है। यह कोई मेरे पिता जी की कंपनी नहीं है। मेरी कंपनी नहीं है। यह एक मंच है। नई विधा है। लड़के काम करते हैं।”