भारतीय सेना देश के विभिन्न हिस्सों में फील्ड पर अपने ज्यादा से ज्यादा सैनिकों और अधिकारियों को तैनात देखना चाहती है। ऐसे में वह नई दिल्ली स्थित केंद्रीय मुख्यालय से तकरीबन 20 फीसदी अधिकारियों को हटाने की योजना बना रही है। ‘ईटी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये अधिकारी मुख्यालय में अलग-अलग विभागों से होंगे। सेना का यह कदम सैनिकों की कॉम्बैट क्षमता और मैदान (जंग के दौरान) में उन्हें बेहतर बनाने के मकसद से लिया जाएगा।
रविवार (18 नवंबर) को देश की राजधानी में आयोजित एक सेमिनार में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने इसी बिंदु के आधार पर योजना का जिक्र किया गया। सेमिनार में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत वरिष्ठ अधिकारियों व दिग्गजों से मुखातिब हुए और उन्होंने सेना को सशक्त बनाने के लिए चार आंतरिक शोध को जाना-समझा, जिसमें एक में सेना मुख्यालय के पुनर्गठन की बात भी शामिल थी।
सेना के अधिकारियों व दिग्गजों ने समझाया कि उन्होंने जो सुझाव दिए हैं, वे सेना के सामने आने वाली चुनौतियों और कार्य संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दिए गए। उन्होंने इसके अलावा केंद्रीय मुख्यालय में सैनिकों और अधिकारियों की संख्या में कटौती की योजना के बारे में बताया। नाम न बताने की शर्त पर सेना के एक अधिकारी बोले, “सेना में यह कोई कटौती नहीं है। बल्कि यह तो मैनपावर का सही इस्तेमाल होगा, जिसकी समयानुसार और जरूरत के हिसाब से उसे विभिन्न जगहों पर जरूरत होगी।”
योजना के बारे में और बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय मुख्यालय के कुछ विभागों ने सैनिकों व अधिकारियों की कटौती को लेकर अपनी तैयारी कर ली है। यही नहीं, सेना के इस कदम के साथ मुख्यालय के उन विभागों का विलय भी होगा, जिनके काम मिलते-जुलते होंगे। मसलन दिल्ली में केंद्रीय मुख्यालय स्थित डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ट्रेनिंग (डीजीएमटी) का शिमला के आर्मी ट्रेनिंग कमांड (एआरटीआरएसी) से विलय होगा। इन दोनों के काम लगभग एक जैसे ही हैं।