शनिवार को जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी निर्माण भवन स्थित पोलिंग बूथ से सुबह वोट डालने के बाद निकले तो अपने आप में इतिहास लिखा जा चुका था। पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का कोई भी प्रत्याशी नहीं था और न ही EVM में ‘हाथ’ का चुनाव चिन्ह। यहां EVM में आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘झाड़ू’ था।
यहां से करीब 12 किमी दूर… करीब डेढ़ घंटे बाद जब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल चांदनी चौक स्थित अंडर हिल रोड पोलिंग बूथ पर पहुंचे तो यहां आप की झाड़ू की बजाय कांग्रेस पार्टी का ‘हाथ’ चुनाव चिन्ह था।
दिल्ली के इस मजेदार संयोग के बारे में राहुल गांधी पहले ही बात कर चुके थे। उन्होंने पिछले शनिवार को एक रैली में अपने समर्थकों से कहा एकजुट होकर इंडिया गठबंधन को वोट करने की अपील करते हुए कहा था कि केजरीवाल कांग्रेस को वोट देंगे जबकि वो खुद आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को।
सुबह साढ़े सात बजे मौलाना आजाद रोड
सुबह साढ़े सात बजे मौलाना आजाद रोड पर एक आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता पोलिंग बूथ के बाहर दो डेस्क लगाता नजर आया। उसने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अन्य वर्कर आने वाले हैं। यह कार्यकर्ता AAP की पारंपरिक पोशाक में नहीं था। यहीं पर सड़क के उस पार बीजेपी ने भी दो डेस्क लगाई हुई थीं। यहां वोटर अपनी कारों से बाहर निकलकर पहले से ही मौजूद बीजेपी के चार बूथ कार्यकर्ताओं के आसपास इकट्ठे थे।
यहां सुबह 8 बजे मतदान की रफ्तार धीमी थी। राजधानी के इस वीआईपी एन्क्लेव के निवासी (फैमिली, फर्स्ट टाइम वोटर और सरकारी कर्मचारी) धीरे-धीरे मतदान के लिए अपने घरों से आने लगे। हालांकि इस बार उनके पास चुनने के लिए पिछली बार से अलग बीजेपी और नए राजनीतिक गठबंधन का विकल्प था।
अकबर रोड स्टॉफ क्वार्टर के निवासी आदेश कुमार बताते हैं कि वो साल 1992 से इसी बूथ पर वोट कर रहे हैं। वो नए सियासी गठबंधन की जरूरत पर सवाल करते हुए VIP एन्क्लेव के मतदाताओं को ‘साइलेंट’ बताते हैं।
वो सवाल करते हैं कि कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी न उतारने पर से क्या मैसेज जाएगा? क्या कांग्रेस इतनी मजबूत भी नहीं थी कि वो अपना प्रत्याशी न खड़ा कर सके? उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि दिल्ली में किसी गठबंधन की जरूरत थी। मुझे लगता है कि इससे वोटों का बंटवारा होगा।”
परवेश देवी नाम की एक अन्य वोटर भी गठबंधन को लेकर सवाल करती हैं। उनके पति अशोक कुमार कहते हैं कि उन्होंने करीब दर्जन भर चुनावों में वोट किया है लेकिन पहली बार वो देख रहे हैं कि दिल्ली में दो पार्टियों ने गठबंधन किया है। उन्होंने कहा कि वे फायदे के लिए एक साथ आए हैं; इससे सिर्फ यह साबित होता है कि वे जीतने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, और कुछ नहीं।
केके झा नाम के वोटर कहते हैं कि गठबंधन हो या न हो फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनका वोट विकास को जाएगा। उनकी बेटी मधु कुमारी जो कि एक फर्स्ट टाइम वोटर भी हैं गठबंधन को राजनैतिक बताती हैं और कहती हैं कि इससे उनके पहले वोट पर फर्क नहीं पड़ेगा।
हालांकि यहां दोनों पार्टियों के “कट्टर समर्थक” भी थे, जो अपने वोट डालने के लिए आए हुए थे। शिव चरण नाम के एक वोटर कहते हैं, “मैं यह नहीं कह सकता कि इससे कोई फर्क पड़ेगा या नहीं या चुनाव कौन जीतेगा, लेकिन मैं गठबंधन का समर्थन करता हूं क्योंकि ऐसा करना सही लगता है।”
दोपहर बढ़ते-बढ़ते इंडिया गठबंधन की डेस्क पर एक स्कूटर आकर रुकता है और पूछता है कैसा चल रहा है तो उसे जवाब मिलता है,”चल रहा है, पब्लिक है ही नहीं। सब या तो छुट्टी पर चले गए या शिफ्ट हो गए क्वार्टरों से”
जब उनसे पूछा गया कि उनके डेस्क लगाने के बाद से उन्हें कैसा रिएक्शन मिला है, तो उनमें से एक ने कहा कि “अच्छा” और उनके उम्मीदवार आप के मालवीय नगर विधायक सोमनाथ भारती के “जीतने के अच्छे चांस” है, भले ही यह छोटे मार्जिन से हो।
केजरीवाल के पोलिंग बूथ पर क्या था माहौल?
अंडर हिल पोलिंग बूथ पर सीन मिलता जुलता ही था लेकिन अलग था। चांदनी चौक में आप का कोई प्रत्याशी नहीं था। यहां आप कांग्रेस के जेपी अग्रवाल को सपोर्ट कर रही थी, जिनका मुकाबला बीजेपी के प्रवीण खंडेलवाल से था।
यहां अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के साथ ग्यारह बजे के बाद वोट डालने के लिए पहुंचे। यहां केजरीवाल से पहले या बाद में सिविल लाइंस बूथ पर मतदान करने वालों के लिए EVM पर झाड़ू की अनुपस्थिति ऐसी बात नहीं थी जिसके बारे में उन्होंने ज्यादा सोचा था।
अंडर हिल रोड पर कॉलोनी नंबर 33 के निवासी सुनील पासी कहते हैं कि वैसे भी पहले दिल्ली में सिर्फ कांग्रेस और भाजपा ही हुआ करती थीं और आम आदमी पार्टी बाद में आई। यहीं रहने वाले 32 साल के अनिल कहते हैं, “हमारी जैसी झुग्गियों और कॉलोनियों में, कुछ कांग्रेसी मतदाता आप में चले गए होंगे… अब जब वे एक साथ हैं, तो बीजेपी कम से कम कुछ हद तक हार सकती है।’
यहां शमशेर अली (48) नाम के ड्राइवर कांग्रेस के जेपी अग्रवाल के लिए कहते हैं कि वो पुराने नेता हैं… हम उन्हें लंबे समय से देख रहे हैं। गठबंधन को इस बात पर कोई भ्रम क्यों होना चाहिए कि किसे वोट देना है?”
