वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में अनुवांशिक परिवर्तन की पहचान की है। उन्होंने मानव शरीर में एक ऐसे जीन की पहचान की है जो नोवेल कोरोना विषाणु से लड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह कोविड-19 को बेहतर ढंग से समझने और इसके इलाज में मददगार साबित हो सकता है।
अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में चार युवा पुरुष रोगियों और दो परिवारों के कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार रोगियों में अनुवांशिकी के निर्माण के विभिन्न रूपों का विश्लेषण किया गया है, जिनके इस महामारी का शिकार बनने के कोई चिकित्सकीय आसार नहीं थे।
नीदरलैंड की रैडबाउड यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज के वैज्ञानिकों के अनुसार, रोगियों में टीएलआर-7 जीन के विभिन्न प्रकार थे। साथ ही उनमें टाइप-एक और दो के इंटरफेरोन के प्रतिरक्षा प्रणाली के अणुओं के उत्पादन में दोष पाया गया। वैज्ञानिकों ने कहा कि कोविड-19 के कारण सांस लेने में तकलीफ होने से पहले ठीक अवस्था में रहे रोगियों को आइसीयू में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि टीएलआर-7 जीन मानव शरीर की कोशिकाओं की सतह पर प्रोटीन अभिग्राहकों का परिवार उत्पन्न करने में मदद करता है, जो रोगनजकों की पहचान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि ये अभिग्राहक शरीर में जीवाणुओं और विषाणुओं जैसे संक्रामक एजंट की पहचान करके प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय कर देते हैं। इससे कोरोना विषाणु संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।
अन्य एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उस अणु की संरचना की गुत्थी सुलझा ली है, जिसका इस्तेमाल नया कोरोना विषाणु मेजबान कोशिका की तरह अपना आनुवंशिक अनुक्रम तैयार करने में करता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस नई जानकारी से कोविड-19 के खिलाफ विषाणु रोधी दवा बनाने में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी शामिल हैं।
नेचर कम्युनिकेशंस नाम के जर्नल में छपे इसे अध्ययन के मुताबिक, अणु एनएसपी- 10 मेजबान कोशिका के एमआरएनए की नकल करने के लिए विषाणुजनित एमआरएनए में बदलाव करता है। अमेरिका के सैन एंटोनियो (यूटी हेल्थ सैन एंटोनियो) में द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह बदलाव एनएसपी-10 विषाणु को मेजबान कोशिका की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचाता है। यूटी हेल्थ सेन एंटोनियो से अध्ययन के सह-लेखक योगेश गुप्ता ने कहा, ‘यह एक छद्म आवरण है।
कोशिकाओं को भ्रमित करने वाले इन बदलावों की वजह से विषाणुजनित संदेशवाहक आरएनए अब इसे कोशिका के अपने कूट का हिस्सा समझता है, बाहरी नहीं।’ अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक एनएसपी-16 की थ्रीडी संरचना को समझने से नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 और अन्य उभर रहे कोरोना विषाणु संक्रमणों के खिलाफ नई औषधि को तैयार करने का रास्ता खुल सकता है।
गुप्ता ने कहा कि यह दवाएं इस तरह तैयार की जा सकती हैं जो एनएसपी-16 को बदलाव करने से रोकें, जिससे मेजबान कोशिका का प्रतिरोधी तंत्र बाहरी विषाणु की पहचान कर उनपर टूट पड़े। अध्ययन के सह लेखक रॉबर्ट होम्स ने कहा, ‘योगेश के काम ने कोविड-19 के एक अहम एंजाइम की त्रिआयामी संरचना की खोज की है जो उसकी प्रतिकृति के लिए जरूरी है और उसमें एक ऐसी जगह भी खोजी है, जिसे निशाना बनाकर इस एंजाइम को रोका जा सकता है।
यह विषाणु को समझने की दिशा में एक मौलिक प्रगति है।’ निष्कर्षों के आधार पर शोधकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 एनएसपी-10 अणु के संरचनात्मक केंद्रों का सुझाव दिया है, जिन्हें लक्षित कर उनके मुताबिक विषाणुरोधी दवा विकसित की जा सकती है।
