महाराष्ट्र सरकार में मंत्री दिलीप वाल्से पाटिल ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि शरद पवार अकेले दम पर एनसीपी को राज्य में सत्ता में नहीं ला सकते। दिलीप पाटिल के बयान को लेकर उनकी आलोचना हो रही है, लेकिन वह एक तथ्य बता रहे हैं।
हालांकि इस बयान के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट की भावनाओं को आहत किया है और उसने इसे एक राजनीतिक हमला माना है लेकिन जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शरद पवार ने 10 जून 1999 को कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी का गठन किया था। इसने 2000 में राष्ट्रीय दर्जा हासिल किया लेकिन 2023 में पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा चला गया। अपने गठन के बाद से पिछले 24 वर्षों में एनसीपी कभी भी बहुमत के करीब नहीं पहुंची है। 2004 में उसने सबसे अधिक 71 सीटें जीतीं। 48 सदस्यीय लोकसभा में उसने 1999 में सबसे अधिक आठ सीटें जीतीं थीं।
1999 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने कांग्रेस और शिवसेना-भाजपा गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा। त्रिकोणीय मुकाबले में एनसीपी ने 288 में से 58 सीटें जीतीं। चुनाव के बाद उसने महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, जो 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसके बाद विधानसभा चुनावों में एनसीपी ने 2009 में 62, 2014 में 41 और 2019 में 54 सीटें जीतीं हैं। गठन के बाद से लोकसभा चुनावों में एनसीपी दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। 1999 में 8, 2004 में 9, 2014 में 6 और 2019 में पार्टी को 5 सीटों पर जीत मिली।
एनसीपी कभी भी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है। केंद्र और राज्य में सत्ता पाने के लिए उसे हमेशा कांग्रेस पर निर्भर रहना पड़ा है। महाराष्ट्र के अलावा एनसीपी गुजरात, गोवा, केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में सफलता पाने में कामयाब रही है। केरल विधानसभा चुनावों में इसने 2016 और 2021 में दो-दो सीटें जीतीं थीं। 2017 में इसने गुजरात और गोवा में एक-एक सीट जीती थी। हालांकि 2022 के चुनावों में दोनों राज्यों में इसे शून्य सीट मिली। 2019 के झारखंड चुनाव में इसने एक सीट जीती थी।
दिलीप वाल्से पाटिल, जो अब अजित पवार के नेतृत्व वाले विरोधी खेमे का हिस्सा हैं। उन्होंने रविवार को कहा था, “महाराष्ट्र के लोगों ने उन्हें कभी भी अपने दम पर सत्ता नहीं दी या उन्हें बनने की अनुमति नहीं दी। ममता बनर्जी हैं, मायावती हैं, कई क्षेत्रीय दल हैं जो आगे बढ़ रहे हैं और कद्दावर नेता होने के बावजूद विधानसभा में हम केवल 60-70 सीटें ही हासिल कर पा रहे हैं। इसलिए हमने (गठबंधन बनाने का) निर्णय लिया।”
हालांकि सोमवार को दिलीप वाल्से पाटिल ने कहा कि उनकी टिप्पणियों का गलत मतलब निकाला गया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मीडिया ने इसे गलत समझ लिया है। मैंने शरद पवार के बारे में कभी बुरा नहीं कहा। मैं इस बात पर अफसोस व्यक्त कर रहा था कि जहां अन्य क्षेत्रीय दलों ने अपने दम पर सत्ता हासिल की, वहीं महाराष्ट्र की जनता ने शरद पवार को सत्ता नहीं सौंपी। पवार साहब को अपमानित करने या उनकी क्षमता पर सवाल उठाने का कोई सवाल ही नहीं है।”
शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के राजनीतिक रणनीतिकारों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमारी आंतरिक बैठकों में हम अकसर चर्चा करते थे कि संगठन को 60 से 70 सीटों से आगे कैसे बढ़ाया जाए। 2019 में महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने 90 विधानसभा सीटों का लक्ष्य रखा था। पार्टी नेताओं का सपना 100 सीटों का आंकड़ा छूने का था लेकिन यह एक दूर का सपना बनकर रह गया है।”