महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी गुट) सुप्रीमो शरद पवार ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। पवार ने मौजूदा आरक्षण की सीमा 50 फीसदी को लेकर सवाल किया कि तमिलनाडु में आरक्षण 78% तक जा सकता है, तो महाराष्ट्र में भी इसे 75% तक क्यों नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इसके लिए संविधान संशोधन लाना चाहिए, जिसे वे समर्थन देंगे। मराठा समुदाय के आरक्षण पर उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इससे अन्य समुदायों के आरक्षण को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए।

महा विकास आघाड़ी गठबंधन में सीट शेयरिंग पर जल्द चर्चा हो

पवार ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के दलों के बीच सीट बंटवारे पर हो रही बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एमवीए के नेताओं को बातचीत जल्दी पूरी करनी चाहिए ताकि बदलाव की इच्छा रखने वाले लोगों तक पहुंच सकें। एमवीए में एनसीपी, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और कांग्रेस शामिल हैं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन ने महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की थी, और अगले विधानसभा चुनाव में भी इस गठबंधन की अच्छी संभावनाएं हैं।

मराठी भाषा को शास्त्रीय दर्जा दिए जाने का किया स्वागत

पवार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय दर्जा दिए जाने के फैसले का स्वागत किया और इसके लिए केंद्र सरकार को बधाई दी। हालांकि, उन्होंने चिंता जताई कि राज्य में मराठी सीखने वाले छात्रों की संख्या घट रही है और मराठी भाषा के स्कूल बंद हो रहे हैं। पवार ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा और समाधान की जरूरत है ताकि मराठी भाषा को भविष्य में संरक्षित किया जा सके।

शरद पवार ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह लोकलुभावन योजनाओं के लिए धन का उपयोग कर रही है, जिससे अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सांगली कैंसर अस्पताल को 4 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता अभी तक नहीं मिली है। पूरे राज्य में कैंसर अस्पतालों को 700 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। पवार ने इसे प्रशासन की असहायता बताते हुए सवाल उठाया कि जब चिकित्सा क्षेत्र की यह हालत है, तो अन्य क्षेत्रों का क्या हाल होगा।

पवार ने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जताई और कहा कि वित्तीय सहायता देने से ज्यादा जरूरी उनकी सुरक्षा है। उन्होंने बदलापुर में हुई घटना का हवाला दिया, जिसमें एक सफाईकर्मी द्वारा दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया गया था। उन्होंने कहा कि लोग सरकार से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नाराज हैं और केवल वित्तीय सहायता से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ‘लाडकी बहिन’ योजना पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी ऐसी योजनाओं को ‘रेवड़ी संस्कृति’ कहा है, जिसे रोकने की जरूरत है। गडकरी ने दावा किया था कि उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश की गई थी, लेकिन पवार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि उनके पास पर्याप्त सांसद नहीं हैं, तो ऐसी पेशकश कैसे हो सकती है।