कई देशों के मीडिया संस्थाओं ने खुलासा किया गया है कि इजरायली कंपनी NSO के स्पाईवेयर पेगासस के जरिए दुनिया भर की सरकारें पत्रकारों, कानून के क्षेत्र से जुड़े लोगों, नेताओं और यहां तक कि नेताओं के रिश्तेदारों की जासूसी करा रही है। ndtv की खबर के अनुसार भारत में मंत्रियों, जजों, पत्रकारों व संघ नेताओं की निगरानी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक स्पाईवेयर का इस्तेमाल सिर्फ सरकारें ही कर सकती हैं। भारतीय सरकार ने जासूसी के आरोपों से इंकार किया है।

उधर, सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्विटर पर लिखा- ऐसी खबरें सुनने में आ रही हैं कि रविवार शाम को वाशिंगटन पोस्ट और लंदन गार्डियन भारत में पेगासस के इस्तेमाल से जुड़ी एक अहम रिपोर्ट प्रकाशित कर सकती हैं। ऐसी मजबूत अफवाहें हैं कि आज शाम को वाशिंगटन पोस्ट और लंदन गार्डियन एक रिपोर्ट प्रकाशित करने जा रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्रियों, आरएसएस नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के जजों और पत्रकारों के फोन टेप करने के लिए पेगासस की सेवाएं ली गई हैं।

फ्रांस की संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मिलकर ये जानकारी जुटाई फिर दुनिया के कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों से शेयर की है। इस जांच को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया है। निगरानी वाली लिस्ट में 1500 से ज्यादा नाम मिले। द वॉशिंगटन पोस्ट के कॉलमनिस्ट जमाल खशोगी की हत्या में पेगासस स्पाइवेयर का भी नाम आया था। दिसंबर 2020 में अल जजीरा के कई पत्रकारों पर पेगासस के जरिये जासूसी करने की खबर सामने आई थी। मेक्सिको इसका पहला क्लाइंट था।

अभी तक ये साफ ये नहीं है कि इन लोगों के फोन हैक हुए हैं। लेकिन जितने सैंपल की जांच की गई उनमें से आधे से ज्यादा में पेगासस के ट्रेस पाए गए।

पेगासस स्पाइवेयर के जरिये हैकर को स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, मैसेज, ईमेल, पासवर्ड, और लोकेशन जैसे डेटा का एक्सेस मिल जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो स्ट्रीम सुनने और एन्क्रिप्टेड मैसेज को पढ़ने की अनुमति देता है। यानी हैकर के पास आपके फोन की लगभग सभी फीचर तक पहुंच होती है।

NSO ग्रुप के मुताबिक, इस प्रोग्राम को केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा गया है और इसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना है। हालांकि, कई देशों में लोगों पर जासूसी करने के लिए इसका इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं।