कांग्रेस नेता और पूर्व भारतीय क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। अपनी शेरों शायरी भरे अंदाज के लिए जाने-जाने वाले सिद्धू 45 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। सिद्धू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भाजपा से की थी। बाद में उन्होंने भाजपा छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा लिया और 2017 में अमृतसर पूर्व से विधायक बने। लेकिन 2019 में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से खींचतान के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

तब से अबतक सिद्धू और अमरिंदर सिंह के बीच तकरार बनी हुई है। पटियाला में जन्मे सिद्धू के पिता भगवंत सिंह चाहते थे कि सिद्धू क्रिकेट खेलें। लेकिन सिद्धू सेना में जाना चाहते थे। उन्होने एनडीए परीक्षा भी पास कर ली थी। वह बताते हैं कि उनके पिता ने नियम बनाया था कि स्कूल जाने से पहले चार भाषा के अखबार पढ़ने होंगे। शाम को दूरदर्शन पर अंग्रेजी और हिंदी की न्यूज़ सुनना अनिवार्य था। सिद्धू बताते हैं कि बोलने की शैली उन्होंने समाचार सुनकर सीखी।

1983 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। उसके बाद सिद्धू ने 1987 वर्ल्ड कप से वनडे में डेब्यू किया और पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 73 रन की पारी खेली। पारी में पांच छक्के और चार चौके लगाए। इसके बाद सिद्धू का नाम ‘सिक्सर सिद्धू’ पड़ गया। बाद में उसी पत्रकार ने सिद्धू की प्रशंसा में लेख लिखा। साल 1983 से लेकर 1999 तक नवजोत सिंह सिद्धू ने क्रिकेट के मैदान में खूब नाम कमाया।

सिद्धू ने 1987 के वर्ल्डकप में 7 मैच की 5 पारियों में 4 अर्धशतक ठोके थे। इस दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा 276 रन बनाए थे। 1999 में सिद्धू ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और साल 2001 में उन्होने बतौर कमेंटेटर अपना करियर शुरू किया।

सिद्धू ने जितने रिकार्ड्स और नाम कमाएं उतने ही विवादों के साथ भी उनका नाम जोड़ा गया। 1996 में भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन मो. अजहरुद्दीन से उनका विवाद भी काफी चर्चित है। क्रिकेट, क्रिकेट कॉमेन्ट्री, रिएलिटी-लाफ्टर शो और अब राजनीति में भी लगातार विवादों में हैं।

सिद्धू पर 1988 में रोडरेज का आरोप था। हाईकोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने गैरइरादतन हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया था। सिद्धू ने 2004 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की तरफ से अमृतसर की सीट पर जीत हासिल की। इसके कुछ समय बाद कोर्ट केस होने की वजह से उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था।

कांग्रेस में शामिल होने के बाद सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने और पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बजवा को गले लगाने के कारण विवादों में रहे थे।