केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय पांच श्रेणी में विभिन्न पंचायतों व संस्थाओं को हर साल पुरस्कार देता है। इस साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 11 दिसंबर को विज्ञान भवन में विभिन्न श्रेणी के अंतर्गत देश भर की 45 पंचायतों व संस्थाओं पुरस्कार देंगी। इस साल त्रिपुरा और ओडिशा की सबसे अधिक सात-सात पंचायतों ने पुरस्कार जीता है। महाराष्ट्र की छह पंचायतों को भी पुरस्कार मिला है।
यूपी को केवल दो इनाम
वहीं देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की दो पंचायतों और गुजरात की मात्र एक पंचायत को ही पुरस्कार मिल पाया है। मंत्रालय की ओर से पहला पुरस्कार जीतने वाली पंचायत को एक करोड़, द्वितीय पुरस्कार पाने वाली पंचायत को 75 लाख और तीसरे स्थान पर रहने वाली पंचायत को 50 लाख रुपए का ईनाम दिया जाएगा।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पंचायतों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ये पुरस्कार दिए जाते हैं। इस साल ये पुरस्कार कुल 15 राज्यों की 45 पंचायतों व संस्थाओं को दिए जाएंगे। त्रिपुरा व ओड़ीशा की सबसे अधिक सात-सात पंचायतों को यह पुरस्कार दिया जा रहा है। महाराष्ट्र की छह पंचायतों को पुरस्कृत किया जाएगा। वहीं, आंध्र प्रदेश की चार, बिहार व हिमाचल प्रदेश की तीन-तीन, असम, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, तमिलनाडु व उत्तर प्रदेश की दो-दो और छत्तीसगढ़, गुजरात व तेलंगाना की एक-एक पंचायत को पुरस्कार मिलेगा।
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27 पंचायतों को मिलेगा दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास पुरस्कार
सूत्रों के मुताबिक दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास पुरस्कार 27 पंचायतों को मिलेगा। ये पुरस्कार कुल 9 विषयों के तहत दिया जाएगा जिनमें गरीबी मुक्त एवं उन्नत आजीविका युक्त पंचायत, स्वस्थ पंचायत, बाल हितैषी पंचायत, जल पर्याप्त पंचायत, स्वच्छ एवं हरित पंचायत, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा युक्त पंचायत, सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं सामाजिक रूप से संरक्षित पंचायत, सुशासन युक्त पंचायत और महिला हितैषी पंचायत शामिल हैं।
नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत विकास पुरस्कार तीन स्तर पर दिए जाएंगे। इसमें ग्राम, खंड व जिला पंचायतों को पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा 9 पुरस्कार विशेष श्रेणी में भी दिए जाएंगे जिसमें ग्राम ऊर्जा स्वराज विशेष पंचायत, कार्बन शून्य विशेष पंचायत और पंचायत क्षमता निर्माण सर्वोत्तम संस्थान पुरस्कार दिया जाएगा। मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक कुछ साल पहले इन पुरस्कारों को सतत विकास के लक्ष्यों से जोड़ा गया था।