बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह का मानना है कि जो लोग मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान कर रहे हैं दरअसल में वह देश में गृहयुद्ध का आह्वान कर रहे हैं। समाचार पोर्टल दी वायर को दिए इंटरव्यू में शाह ने सीनियर जर्नलिस्ट करण थापर से बातचीत में कहा कि जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर हैरानी हो रही है, शायद उन्हें (धार्मिक नेता) ये भी नहीं पता कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं, वह किसका आह्वान कर रहे है, ये एक तरह से गृहयुद्ध जैसा होगा।

उन्होंने कहा कि 20 करोड़ की आबादी को आप इस तरह से खत्म करने की बात नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग लड़ने के लिए तैयार हैं, क्योंकि हम सभी लोग यहीं के हैं, हमारी पीढ़ियां यहीं रहीं और यहीं मरीं, शाह ने कहा कि जो लोग इस तरह की भड़काउ बयान दे रहे हैं शायद उन्हें अंदाजा नहीं है कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि अगर इसके प्रतिशोध में कोई आंदोलन शुरू होता है तो भारी नुकसान हो सकता है।

मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बताए जाने पर नाराज बॉलीवुड एक्टर ने कहा कि ये मुसलमानों में डर फैलाने की कोशिश है लेकिन मुस्लिमों को इसमें नहीं फंसना चाहिए। क्योंकि अगर वह यह मानने लगे कि उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है तो वह इसके खिलाफ लड़ेंगे और फिर संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हमें अपने घरों, जमीनों और परिवार की रक्षा करने के लिए लड़ना पड़ेगा।

इस मामले पर सरकार को सवालों के घेरे में खड़े करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि जो कुछ हो रहा है, वह मुसलमानों को असुरक्षित महसूस कराने का ठोस तरीका है। ये बिल्कुल ऊपर से शुरू होता है, जहां से औरंगजेब का जिक्र किया जाता है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के लिए अलगाववाद एक नीति बन गई है।

धर्म संसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने कहा कि मैं एक्साइडेट था ये जानने के लिए कि इन लोगों (नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों) के साथ क्या होगा, सच्चाई ये है कि कुछ नहीं हुआ। शाह ने कहा कि मुझे इस बात से बिल्कुल भी हैरानी नहीं है क्योंकि उस आदमी के खिलाफ भी कोई एक्शन नहीं लिया गया जिसके बेटे ने किसानों को रौंद डाला था।

आपको बताते चलें कि पिछले दिनों धर्म संसद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने CJI को चिट्ठी लिखकर नफरत भरे भाषणों पर स्वत: संज्ञान लेने की अपील की थी। इस चिट्ठी में हरिद्वार में धर्म संसद और 17 से 19 दिसंबर के बीच दिल्ली में हुई बैठक का हवाला दिया गया था और नौ लोगों के नाम बताए गए थे, जिनके खिलाफ भड़काऊ भाषणों के वीडियो के आधार पर कार्रवाई करने की अपील की गई थी।