पूरे देश में इस समय भारतीय पहलवानों का प्रदर्शन चर्चा का विषय बना हुआ है। मंगलवार को पहलवान अपने मेडल्स गंगा नदी में बहाने के लिए हरिद्वार गए थे। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के चीफ नरेश टिकैत वहां पहुंचे और उन्होंने पहलवानों को ऐसा न करने के लिए समझाया। नरेश टिकैत चर्चित किसान नेता राकेश टिकैत के भाई हैं और वो आम तौर पर लाइमलाइट से दूर रहते हैं। मंगलवार शाम को नरेश टिकैत पर पूरे देश की मीडिया का फोकस था।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नरेश टिकैत ने कहा कि महिला पहलवानों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए किसी को कड़ा रुख अपनाना पड़ेगा। इन्होंने देश का नाम रोशन किया है। ये लड़कियां अनाथ हैं क्योंकि सत्ता में रहने वालों ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है जबकि विपक्षी नेता उनके लिए एकजुट नहीं हो रहे हैं।

नरेश टिकैत बालियान खाप पंचायत के मुखिया भी हैं। उन्होंने गुरुवार को यूपी के मुजफ्फरनगर में पहलवानों के मसले पर महापंचायत बुलाई है। इस महापंचायत में सभी खापों के नेताओं के अलावा सियासी नेताओं को भी बुलाया गया है। आपको बता दें कि पहलवान अपने प्रदर्शन की शुरुआत से ही बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। रविवार को दिल्ली पुलिस ने जंतर मंतर पर पहलवानों की प्रोटेस्ट साइट को उखाड़ दिया था। नई संसद की तरफ मार्च करते समय उन्हें हिरासत में ले लिया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नरेश टिकैत ने कहा, “मैं मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान से भी बात करूंगा और उनसे हस्तक्षेप करने के लिए कहूंगा क्योंकि पूरा देश जानता है कि हमारी बेटियों को न्याय नहीं दिया जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि महापंचायत में एकजुट होकर रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि बीजेपी सांसद भी अपनी पार्टी के नेताओं को हमारी बेटियों के हक में फैसला लेने के लिए मनाएंगे वरना हम खाली नहीं बैठेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि पहलवानों को अपनी गाढ़ी कमाई के मेडल गंगा में न बहाने के लिए राजी करना आसान नहीं था। वो बहुत गुस्से में थे और मैंने किसी तरह उन्हें गुस्से में आकर कोई निर्णय नहीं लेने के लिए राजी किया। नरेश टिकैत ने कहा, “मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि हम सत्ता में बैठे लोगों से बात करके उनकी मांगों को पूरा करेंगे।”

नरेश टिकैत खापों के बीच एक सम्मानित चेहरा हैं। वह अपने शांत, संयमित स्वभाव के लिए प्रसिद्ध हैं। दूसरी तरफ उनके भाई राकेश टिकैत किसानों और अपने जाट समुदाय से जुड़े मुद्दों को लेकर एक्टिव रहते हैं। दोनों ही भाई अपने पिता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की तरह हमेशा किसानों से संबंधित मामलों पर एक्टिव रहते हैं।

किसानों के प्रदर्शन के दौरान राकेश टिकैत ने दिल्ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चा संभाल था। इसके बाद मोदी सरकार ने किसान कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। नरेश टिकैत ने इस मूवमेंट में हिस्सा तो लिया था लेकिन वो पूरी तरह से सक्रिय नहीं थे। राकेश टिकैत तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है वहीं दूसरी तरफ नरेश टिकैत ने चुनावी राजनीति से दूरी बनाई हुई है।

नरेश टिकैत के बेटे गौरव का कहना है कि उनके पिता पहलवानों के मुद्दे को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। राकेश टिकैत का कहना है कि उन्होंने अपने समर्थकों से अपने बड़े भाई की लड़ाई में साथ आने के लिए अफील की है। उन्होंने कहा कि केंद्र और यूपी दोनों जगह बीजेपी की सरकार है और वो हमारी बेटियों को इग्नोर कर रही है।