Narendra Modi RSS Headquarters Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हेडक्वार्टर जा रहे हैं। इस बात को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं और सवाल हैं कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के दफ्तर क्यों जा रहे हैं? महाराष्ट्र के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागपुर दौरे में कुछ भी राजनीतिक नहीं है लेकिन मोदी के संघ के हेडक्वार्टर जाने को लेकर राजनीतिक चर्चाएं न हों, ऐसा बिलकुल नहीं हो सकता।

मोदी के संघ कार्यालय में जाने को बीजेपी और आरएसएस के रिश्तों को नॉर्मल होने से जोड़कर देखा जा रहा है।

मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के दफ्तर में कुछ कार्यक्रमों में भाग लेंगे और इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच भी साझा करेंगे। वह दीक्षा भूमि जाएंगे जहां भीमराव अंबेडकर और उनके अनुयायियों ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हेडगेवार स्मृति मंदिर भी जाएंगे। यहां आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और संगठन के दूसरे सरसंघचालक एमएस गोलवलकर को समर्पित स्मारक बनाए गए हैं।

‘RSS से मुझे संस्कार, जीवन का उद्देश्य मिला, इसे समझना आसान नहीं…’

मोदी सितंबर, 2012 में आरएसएस मुख्यालय आए थे, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। जुलाई 2013 में भी उन्होंने एक बैठक के लिए आरएसएस के मुख्यालय का दौरा किया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने दम पर बहुमत मिलने और नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद संघ प्रमुख भागवत ने दिल्ली में उनसे मुलाकात की थी। पिछले साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में भी मोदी और भागवत ने मंच साझा किया था।

संघ के हेडक्वार्टर जाने वाले मोदी पहले सीटिंग प्रधानमंत्री होंगे। अटल बिहारी वाजपेयी 2007 में गोलवलकर शताब्दी समारोह में भाग लेने के दौरान संघ मुख्यालय आए थे लेकिन तब वह प्रधानमंत्री के पद पर नहीं थे।

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नड्डा के बयान से उठा था तूफान

याद दिलाना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले आरएसएस और बीजेपी के रिश्तों में खटास की खबर मीडिया और राजनीति के गलियारों में चर्चा में आई थी। यह चर्चा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में एक बयान के बाद जोर-शोर से उठी थी। इस इंटरव्यू में नड्डा ने कहा था कि बीजेपी अब आगे बढ़ चुकी है और अकेले चलने में सक्षम है।

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलने पर यह माना गया था कि संघ के साथ दूरी बनाने की वजह से पार्टी को नुकसान हुआ है लेकिन पिछले कुछ महीनों में इस दूरी को खत्म करने की कोशिश बीजेपी ने जरूर की है।

मोदी ने की थी संघ की तारीफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दो मौकों पर आरएसएस की तारीफ की है। फरवरी में तीन दिवसीय 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में भाग लेने के दौरान उन्होंने आरएसएस की तुलना ‘वट वृक्ष’ से की थी। मोदी ने कहा था कि आरएसएस ने “मेरे जैसे लाखों लोगों” को “देश के लिए जीने” की प्रेरणा दी है।

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इसके अलावा इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अपने जीवन पर संघ के प्रभाव को लेकर चर्चा की थी। मोदी ने कहा था, ‘पिछले 100 साल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दुनिया की चकाचौंध से दूर रहते हुए समर्पित भाव से काम किया है और यह मेरा सौभाग्य रहा कि ऐसे संगठन से मुझे जीवन के संस्कार मिले, मुझे लाइफ ऑफ परपज मिला।’ मोदी ने कहा था कि लाखों लोग संघ से जुड़े हुए हैं और इस संगठन को समझना इतना आसान नहीं है। इसके काम की प्रकृति को सही मायने में समझने की कोशिश करनी चाहिए।

नाम जाहिर न करने की शर्त पर आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा कि संघ बीजेपी के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता। उन्होंने बताया, ‘अगर वे हमारी सलाह मांगते हैं तो हम उन्हें सलाह देते हैं। कभी-कभी इसे स्वीकार कर लिया जाता है, कभी-कभी नहीं।’

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