लोकार्पण समारोह से पहले कुलकर्णी और कसूरी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। कसूरी ने पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि शिव सेना को उनके विरोध का अधिकार है। मगर विरोध का उनका तरीका ठीक नहीं था। कसूरी का मुंबई से पुराना रिश्ता रहा है। आजादी से पहले उनके पूर्वज कांग्रेस से जुड़े थे और भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल रहे।

2002 से 2007 तक पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे कसूरी ने इस मौके पर कहा कि वह अमन का पैगाम लाए हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तानी जनता भारतीयों के साथ अच्छे संबंध चाहती है। अगर दोनों देशों के लीडर सकारात्मक सोच के साथ बातचीत करेंगे तो हिंदुस्तान पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर हो सकते हैं। कसूरी ने कहा कि लोगों के मन में जहर नहीं होता है, उनके मन में जहर भरा जाता है ‘अपनी किताब में भी मैंने यही बात कही है।’

कसूरी ने कहा कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच शांति को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वह दोनों देशों के बीच शांति के लिए अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों को परिणति तक ले जाएं।

कसूरी ने शाम को कहा ‘मुझे आशा है कि मोदी को इस बात का अहसास है कि वाजपेयी ने जो मार्ग अपनाया था, वह सर्वश्रेष्ठ मार्ग था।’ उन्होंने किताब से एक पंक्ति पढ़ते हुए कहा, ‘ना बंदूक से ना गोली से, बात बनेगी बोली से।’