मोदी सरकार के खिलाफ 9 सालों के अंदर दूसरा अविश्वास प्रस्ताव आने जा रहा है। लोकसभा स्पीकर ने इसकी मंजूरी दे दी है। अगले हफ्ते सोमवार को इस पर चर्चा होने जा रही है। इस बार मणिपुर हिंसा को लेकर विवाद है,पीएम से सवाल-जवाब की तैयारी है। लेकिन साल 2018 में भी एक अविश्वास प्रस्ताव आया था, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उस एक प्रक्रिया ने अलग ही नेरेटिव सेट कर दिया था जिसका खामियाजा यूपीए ने भुगता और फायदा पूरी तरह एनडीए को मिला।
साल 2018 में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग थी। इसी वजह से नायडू ने एनडीए से अलग होने का फैसला भी कर लिया था। अब जब पर्याप्त समर्थन संसद में मिल गया, उस अविश्वास प्रस्ताव को मंजूदी दे दी गई। लगातार 12 घंटे तक बहस चली, लेकिन सारी लाइमलाइट कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम रही। राहुल गांधी ने सदन में जिस तरह से प्रधानमंत्री पर निशाना साधा, जिस तरह से उन्हें राफेल डील में एक भागीदार बता दिया, जिस तरह से उन्होंने पीएम को लेकर कह दिया कि वे डर गए हैं, उनकी आंखों में नहीं देख सकते।
इन सभी बयानों ने विपक्ष की खूब तालियां बंटोरीं। लेकिन राहुल के उस जोरदार भाषण के बाद एक ऐसी घटना हुई जो राजनीति के इतिहास में इससे पहले देखने को नहीं मिली। राहुल ने अपना भाषण समाप्त किया और वे सीधे पीएम मोदी के पास चले गए। उस समय सदन चल रहा था, कैमरे ऑन थे, ऐसे में सबकुछ रिकॉड हो रहा था। राहुल, पीएम मोदी के पास गए, पहले उनसे हाथ मिलाया और फिर उन्हें सीधे गले लगा लिया। बीजेपी खेमा देखता रह गया, थोड़ा हंसा, लेकिन किसी को समझ नहीं आया कि राहुल ने ऐसा क्यों किया।
अब राहुल गांधी का तर्क तो उस समय भी वहीं रहा कि वे प्यार की राजनीति करना जानते हैं। लेकिन जब पीएम मोदी की बारी आई, उन्होंने एक ऐसा भाषण दिया जिसने शायद ना सिर्फ उस अविश्वास प्रस्ताव की हवा निकाली बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव का रुख भी बदलकर रख दिया। पीएम मोदी ने सबसे पहले तो राहुल गांधी को लेकर कह दिया कि हां वे भागीदार हैं, देश के विकास में, लोगों की सेवा में। वहीं डरने वाले बयान पर पीएम ने तब बोला कि हां वे राहुल की आंख में नहीं देख सकते क्योंकि वे गरीब हैं, जमीन से जुड़े हुए हैं, कामदार हैं, नामदार से उनका कोई मुकाबला नहीं।
राहुल ने जो गले लगाने की कोशिश की थी, उस पर भी तंज कसते हुए पीएम मोदी ने कह दिया था कि कुछ लोगों को इस कुर्सी पर आने की बहुत जल्दी रहती है, कहते रहते हैं उठो-उठो। लेकिन ये कुर्सी ऐसे ही किसी को नहीं मिलती। 125 करोड़ लोग फैसला करते हैं कि कौन यहां बैठेगा। यानी कि पीएम मोदी ने ना सिर्फ राहुल के हर आरोप का जवाब दिया, बल्कि जिस तरह से विपक्ष पर हमला किया, एक अलग ही नेरेटिव सेट कर दिया गया जिसके दम पर 2019 के चुनाव में भी ऐतिहासिक जीत दर्ज की गई।
याद दिला दें कि 2019 के चुनाव में चौकीदार चोर के आरोप को बीजेपी ने ‘मैं भी चौकीदार’ नारे से सफलतापूर्वक काउंटर कर दिया था। इसके अलावा राष्ट्रवाद मुद्दे को भी जिस तरह से धार दी गई, उसने भी बड़ी जीत में अपनी भूमिका निभाई। अब फिर वहीं मौका है, एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। अब ये मोदी सरकार के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होता है या मास्टर फेलियर, इस पर सभी की नजर रहेगी।
