लगभग 422 अप्रचलित कानून रद्द किए जाने की संभावना है जिनमें से ज्यादातर गृहमंत्रालय से जुड़े हुए हैं। साथ ही, प्रधानमंत्री कार्यालय समूची प्रक्रिया पर करीबी नजर रखे हुए है। अप्रचलित कानूनों में लोक सेवक (जांच) अधिनियम 1850, धर्मांतरित विवाह विच्छेद अधिनियम 1866, विवाह मान्यता अधिनियम 1892, चर्च ऑफ स्कॉटलैंड किर्क सेसन एक्ट 1899, पश्चिमोत्तर प्रांत ग्राम एवं सड़क पलिस अधिनियम 1873 और साप्ताहिक अवकाश अधिनियम 1942 शामिल हैं।
साल 2001 से यह पहला मौका है जब राजग सरकार दक्ष शासन में अवरोध डाल रहे पुराने कानूनों को हटाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एजेंडा के अनुरूप ऐसा कर रही है। गृह मंत्रालय इन कानूनों को रद्द करने के लिए विधि मंत्रालय से बात कर रहा है। गृह मंत्रालय के समन्वय विभाग ने पुराने कानून को निरस्त करने के प्रस्तावित कदम पर मंत्रालय के विभिन्न धड़ों से विचार मांगे हैं।
एक कार्यालयी ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘चूंकि यह मामला फौरी है और पीएमओ भी निगरानी कर रहा है, ऐसे में आपके डिवीजन के खिलाफ अधिनियम पर प्रदर्शित टिप्पणियां 18 अप्रैल 2016 तक समन्वय संभाग को भेजी जा सकती है।’’ अप्रचलित कानूनों को रद्द करने की समीक्षा करने के लिए सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री कार्यालय में आर रामनुजन की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय एक समिति का भी गठन किया गया था। समिति ने रद्द करने के लिए कुल 1, 741 अधिनियमों की पहचान की थी। 1950 और 2001 के बीच 100 से भी अधिक अधिनियम को रद्द किया गया।
विधि आयोग ने अप्रचलित कानूनों पर अपनी चार अलग-अलग रिपोर्टों में क्रमश: 72, 113, 74 और 30 अप्रचलित अधिनियमों को रद्द करने की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि सरकार को जुलाई 2015 में उस वक्त शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था जब इसे लोकसभा से उस विधेयक को वापस लेना पड़ा था जिसके जरिए अप्रचलित कानूनों को रद्द करने की मांग की गई थी। सरकार अब एक संशोधित विधेयक पेश करने वाली है।