प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मनरेगा को ‘‘संप्रग सरकार की विफलताओं का जिंदा स्मारक’’ करार दिए जाने के कुछ ही महीने बाद आज ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस योजना की सराहना करते हुए कहा कि रोजगार योजना से ग्रामीणों को फायदा हुआ और गरीबों के मजदूरी स्तर में भी सुधार आया।

ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी देते हुए बताया, ‘‘झारखंड समेत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मनरेगा से ग्रामीणों के बीच रोजगार की तलाश में प्रवास की प्रवृति कम हुई है, पारदर्शिता के उच्च मापदंड स्थापित हुए हैं, रोजगार में कमी की समस्या का समाधान निकला है और इससे संपत्ति के सृजन के साथ ही आजीविकास स्तर में सुधार आया है।’’

मंत्री तीन भाजपा सदस्यों वरुण गांधी, पशुपति नाथ सिंह और हरीश चंद्र उर्फ हरीश द्विवेदी द्वारा किए गए सवालों के जवाब दे रहे थे जिन्होंने जानना चाहा था कि क्या मनरेगा के परिणामस्वरूप मजदूरों के जीवन के मानकों में सुधार आया है।

मंत्री ने यह कहते हुए योजना की सराहना की कि इसने ‘‘वित्तीय समावेश को गति दी’’ और ‘‘ग्राम पंचायतों को मजबूत’’ बनाया। उन्होंने कहा कि मनरेगा से ग्रामीण इलाकों में मजदूरी भत्ते में सुधार हुआ और इसके परिणामस्वरूप गरीब से गरीब के आय स्तर में वृद्धि हुई है, गरिमापूर्ण कामकाजी माहौल के मानक तय हुए हैं और परती जमीन पर खेती शुरू हुई है।

मार्च महीने में प्रधानमंत्री ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस की पसंदीदा योजना को लेकर उस पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘‘यह पिछले 60 सालों में गरीबी से निपटने में आपकी विफलता का जिंदा स्मारक है। मैं पूरे गाजे बाजे के साथ ढिंढोरा पीटते हुए इस योजना को जारी रखूंगा।’’

मोदी ने कहा था, ‘‘मनरेगा जारी रहेगी। मेरी राजनीतिक समझ कहती है कि मनरेगा को बंद मत करो। मैं कभी यह गलती नहीं करूंगा।’’