कोरोना संक्रमण को पूरी तरह ठीक करने का दावा करते हुए बाबा रामदेव की पतंजलि ने हाल ही में कोरोनिल दवा बाजार में लॉन्च की थी। लेकिन पतंजलि ने कोरोनिल को लेकर जो जानकारी सरकार को दी है, उससे केन्द्र सरकार खुश नहीं है। यही वजह है कि मोदी सरकार ने पतंजलि पर इस दवाई के बारे में और ज्यादा जानकारी देने का दबाव बनाया है। दवाई की जोर-शोर से हुई लॉन्चिंग के बाद केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने बीती 23 जून को पतंजलि को एक चिट्ठी लिखकर कोरोनिल को लेकर किए जा रहे दावों के बारे में और जानकारी देने की मांग की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस चिट्ठी में आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से दवाई के इंग्रीडेंट्स के बारे में पूछा है। इसके साथ ही इस दवाई की टेस्टिंग कहां की गई, इसकी भी जानकारी मांगी गई है। कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के रजिस्ट्रेशन के बारे में भी पूछा गया है। द प्रिंट की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि पतंजलि ने तीन डॉक्यूमेंट भेजे हैं लेकिन चौथे प्वाइंट पर अभी भी कन्फ्यूजन है। चौथे प्वाइंट में कंपनी से ट्रायल प्रोटोकॉलके बारे में विस्तार से जानकारी मांगी गई है। अधिकारियों ने बताया कि अभी यह साफ नहीं है कि कोरोना के क्लीनिक्ल ट्रायल के नतीजे अंतरिम हैं या फाइनल हैं। अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि ट्रायल पूरे हो चुके हैं या फिर जारी हैं?
बहरहाल अब यह मामला 17 सदस्यीय आयुष टास्कफोर्स को सौंपा जाएगा, जो आगे इसकी जांच करेगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस दवाई का ट्रायल जिन लोगों पर किया गया उनका उम्र सीमा क्या थी? इसकी भी जानकारी नहीं है।
बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड पहली बार किसी विवाद में नहीं घिरी है। इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है। साल 2015 में पतंजलि ने खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन के प्रबंधन, मार्केटिंग, क्वालिटी कंट्रोल की जिम्मेदारी लेने का सरकार को प्रस्ताव दिया था। हालांकि सरकार ने इस प्रस्ताव से इंकार कर दिया था। इसके अलावा यूपी के मिड डे मील में पंजीरी बंटवाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी नहीं मिली थी।