नरेंद्र मोदी की सरकार भाजपा दिल्ली में हार का जोखिम नहीं ले सकती है। इसके दो कारण है…

पहला क्योंकि ‘आप पार्टी’ पर वार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सामने आए। उन्होंने दिल्ली वासियों के लिए रामलिला मैदान पर रैली की और लोगों से भाजपा सरकार को वोट देने की अपील भी की।

दूसरा यह कि अगर बाजपा दिल्ली में हार गई तो आगे इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी हार का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक ऐसे समय में आयोजित हुई, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर विरोध का माहौल बन रहा है। लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की यह दूसरी बैठक है, जिसमें पार्टी को मजबूत बनाने के उपायों पर मंथन किया गया। राहुल गांधी ने अपने पुराने अंदाज में नीचे से लेकर ऊपर तक पार्टी में ढांचागत बदलाव के प्रस्ताव पेश किए। उन पर कार्यसमिति में सहमति भी बनी।

अब पार्टी संविधान में चुने हुए पदाधिकारियों का कार्यकाल फिर से घटा कर पांच से तीन साल कर दिया गया है। हालांकि पहले उनका कार्यकाल तीन साल होता था, जिसे बुराड़ी सम्मेलन में बढ़ा कर पांच साल कर दिया गया था। इस नए बदलाव से किसी पदाधिकारी पर अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने का एक मनोवैज्ञानिक दबाव जरूर बन सकता है, मगर जिस स्थिति में अभी कांग्रेस पहुंच चुकी है, उससे कार्यकर्ताओं को बाहर निकालने के लिए पार्टी के पदाधिकारी कितना जोर लगाते हैं, देखने की बात होगी।

पहले भी राहुल गांधी ने पार्टी के ढांचे को लोकतांत्रिक और मजबूत बनाने के मकसद से निचले स्तर के कार्यकताओं-नेताओं को अधिकार संपन्न बनाने पर जोर दिया था, कुछ नियमों में बदलाव भी किए थे। अभी लोकसभा में बुरी गत के बाद हाल के विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों से भी पार्टी का मनोबल खासा आहत हुआ है।