प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (27 जून) को कहा कि शांति स्थापित करने के मुख्य उद्देश्य के साथ पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने के भारत के प्रयास जारी हैं, लेकिन बलों को पूरी आजादी है कि वे जिस तरीके से उचित समझते हों जवाब दें। मोदी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में कई तरह की ताकतें काम कर रहीं हैं लेकिन भारत केवल लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी व्यवस्था के साथ काम करता है। मई, 2014 में पाकिस्तान के प्रति अपने दृढ़-संकल्प वाले रुख पर और शनिवार (25 जून) को श्रीनगर के पास सीआरपीएफ के आठ जवानों के शहीद होने के बारे में पूछे गये प्रश्न पर मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा अपने पड़ोसियों से दोस्ताना संबंध चाहे हैं जिन पर कोई बहस नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, ‘जिन्हें मेज पर काम करना है, वे मेज पर बैठकर काम करेंगे और जिन्हें सीमा पर काम करना है, वे पूरी ताकत से सीमा पर काम करेंगे।’

मोदी ने कहा, ‘प्रत्येक व्यक्ति उसे दी गयी जिम्मेदारी को अदा करेगा। और हमारे जवान अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। यह सत्य है कि आतंकवादियों पर दबाव बढ़ गया है और उनके मंसूबे नाकामयाब हो रहे हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वे जिस इरादे से आगे बढ़ते हैं, वो नाकाम हो रहे हैं और उन्हें बड़ी चुनौतियों का सामना करना होता है। इस हताशा की वजह से इस तरह की घटनाएं घट रहीं हैं और हमारे जवान अपनी जान जोखिम में डालकर देश को बचा रहे हैं। हमें अपने जवानों पर बहुत गर्व है।’

मोदी ने कहा कि भारत को हर समय सतर्क और सावधान रहना होगा, लेकिन साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि पाकिस्तान में किसके साथ बातचीत करने के लिए लक्ष्मण रेखा खींची जा सकती है- निर्वाचित सरकार के साथ या ‘अन्य तत्वों के साथ’। उन्होंने कहा, ‘देखिए, पाकिस्तान में विभिन्न प्रकार की ताकतें गतिविधियां चला रही हैं। लेकिन सरकार केवल लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई व्यवस्था के साथ काम करती है। इस साझेदारी के लिए हमारे प्रयास जारी हैं। लेकिन हमारा प्रमुख उद्देश्य शांति है। हमारा प्रमुख उद्देश्य भारत के हितों को सुरक्षित रखना है।’

मोदी ने कहा, ‘हम उस उद्देश्य की दिशा में प्रयास करते रहते हैं और कई बार हमारे प्रयास सफल होते हैं। जहां तक मुलाकातों और वार्ताओं की बात है तो हमने शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण भेजे और शपथ लेने वाले दिन से संकेत दिया कि हम दोस्ताना संबंध चाहते हैं लेकिन हमारे हितों के साथ समझौता किए बिना।’ उन्होंने टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘इसलिए मैंने कहा कि मेरे देश के जवानों को उस तरीके से जवाब देने की पूरी आजादी है जिसमें उन्हें देना है और वे ऐसा करते रहेंगे।’ पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ क्या होगी, इस पर मोदी ने कहा, ‘पहली बात तो है कि पाकिस्तान में आप किसके साथ लक्ष्मण रेखा के बारे में फैसला करेंगे-निर्वाचित सरकार के साथ या अन्य तत्वों के साथ। इसलिए भारत को हर समय सतर्क और चौकन्ना रहना होगा। कोई ढिलाई या लापरवाही नहीं होनी चाहिए।’

मोदी से सवाल किया गया था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ क्या है क्योंकि 2014 में कहा गया था कि केवल दोनों देशों के बीच वार्ता होगी और हुर्रियत के साथ नहीं होगी। दूसरी बार 26-11 में हुआ और अब पठानकोट में। मोदी ने कहा कि उनकी लाहौर यात्रा या पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को यहां आमंत्रित करने जैसे उनके सतत प्रयासों के चलते ही ऐसा हुआ है कि उन्हें आतंकवाद पर भारत के रुख के बारे में दुनिया को समझाने की जरूरत नहीं रह गयी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दुनिया एक स्वर में भारत की भूमिका की प्रशंसा कर रही है। पाकिस्तान को जवाब देने में मुश्किल हो रही है। दुनिया देख रही है। अगर हम अवरोध बने रहते तो हमें दुनिया को स्वीकार कराना होता कि हम इस तरह के नहीं हैं।’

उन्होंने कहा, ‘पहले दुनिया आतंकवाद पर भारत के विचारों को नहीं स्वीकारती थी और कई बार तो इसे कानून व्यवस्था की समस्या बताती थी। अब पूरी दुनिया उस बात को स्वीकार कर रही है जो भारत आतंकवाद पर कहता है। वह आतंकवाद से भारत को हुए नुकसान को, आतंकवाद से मानवता को हुए नुकसान को स्वीकार कर रही है। मेरा मानना है कि भारत को इस मामले में अपने विचार रखते रहने होंगे।’